दोहावली-देव कांत मिश्र

दोहावली हे माता जगदम्बिके, तू जग तारणहार। अनुपम दिव्य प्रताप से, संकट मिटे हजार।। बढ़ना है जीवन अगर, चलिए मिलकर साथ। सारी दुनिया आपको, लेगी हाथों-हाथ।। बेटा है कुल दीप…

मातृभूमि-देव कांत मिश्र

मातृभूमि मातृभूमि है अपनी प्यारी, जन-जन को बतलाना है। इसकी नित रक्षा की खातिर, सुन्दर भाव जगाना है।। देखो माटी चंदन जैसी, लगती कितनी प्यारी है। खुशबू इसकी सौंधी होती,…

मैं भारत हूँ-देव कांत मिश्र

मैं भारत हूँ मैं भारत हूँ, सदा रहूँगा, ऐसा ‌ही बतलाऊँगा। माटी के कण-कण से सबको, अभिनव गुण सिखलाऊँगा।। पत्ते कहते मैं भारत हूँ, हरा रंग दिखलाऊँगा। हरित भाव को…

चौपाई-देव कांत मिश्र दिव्य

केवट कथा आएँ निर्मल कथा सुनाएँ। भक्तों का हम मान बढ़ाएँ।। राम कथा में ध्यान लगाएँ। मनहर सुखद शांति नित पाएँ।। नाविक था गरीब वह केवट। नौका गंगा करता खेवट।।…

गाँव-देव कांत मिश्र

गाँव यह गाँव हमारा प्यारा है अद्भुत सुन्दर न्यारा है। चलो तुम्हें हम आज दिखाएँ उर का भाव हमारा है।। होती अनुपम मृदा गाँव की सत्य सभी ने जाना है।…

प्रार्थना-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

प्रार्थना स्वर की देवी माँ सरस्वती वाणी मधुरिम कर देना। भक्ति भाव से आया हूँ मैं गीतों में रस, भर देना।। भाव पुष्प माँ लेकर आया और क्या माँ, चढ़ाऊँ…