देशी खाना- बाल कविता छोड़ो बच्चों स्प्राइट माजा, आम लाओ मीठा व ताजा। पिज़्ज़ा-बर्गर-नूडल त्यागो, खाओ खूब रोटी और दाल।। जो खाते हैं मैगी-तंदूरी, तली चपाती, पानी-पुरी। जवानी में ही…
Author: Ram Kishor Pathak
पिता समान कोई नहीं जग में – अमरनाथ त्रिवेदी
पिता समान कोई नहीं जग में पिता शक्ति है ; पिता भक्ति है , पिता ही जीवन का आधार है । पिता से बढ़कर कुछ भी नहीं , वह सब…
भारत देश हमारा है – मृत्युंजय कुमार
भारत देश हमारा है। यह भारत देश हमारा है। सब देशों से प्यारा है।। हिंदु, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई। मिल-जुलकर रहते हम सब भाई।। दिल्ली है इसकी राजधानी। बड़ी खुबसूरत है…
पहली बूंँद धरा पर आई – विधा गीत – राम किशोर पाठक
पहली बूंँद धरा पर आई – गीत अस्त- व्यस्त हो चुके सभी अब, धूलकणों ने ली जम्हाई। पहली बूंँद धरा पर आई, बजती जैसे हो शहनाई।। व्यथित सभी थें गहन…
क्यों नहीं बरसता पानी – शैलेन्द्र भूषण
क्यों नहीं बरसता पानी ? रोज तो घिरते है काले – काले बादल पर नहीं बरसते न आती है आँधी न उड़ते हैं धुल – धक्कड़ न चमकती हैं बिजलियाँ…
वर्षा रानी- आशीष अम्बर
कविता :- वर्षा रानी वर्षा रानी , वर्षा रानी, तुम हो नटखट बड़ी सयानी । कहाँ – कहाँ से तुम लातीं, ढेर – ढेर सा पानी । सूखी – प्यासी…
शब्द भेद की सार्थकता – अमरनाथ त्रिवेदी
शब्द भेद की सार्थकता शब्द में कितनी शक्ति छिपी है , हम इस बात को जरा जानें । एक समय बच्चा को कहें बउआ , उसी बच्चे को फिर …
शब्द भेद को जानें – राम किशोर पाठक
शब्द-भेद को जानें देववाणी सुता है हिंदी। भारत माता की है बिंदी।। आओ इसका रूप निहारे। बहती जिसमें भाव हमारे।। कुछ के सीधे अर्थ समझते। कुछ अटपट सा समझ न…
शब्द भेद की व्यापकता – अमरनाथ त्रिवेदी
शब्द भेद की व्यापकता अक्षर- अक्षर से बनते शब्द , मैं उस शब्द के भेद बताने आया हूँ । उस भेद में रहते कैसे शब्द , जरा मै उसे …
शब्दों के हैं रूप निराले – चौपाई छंद – राम किशोर पाठक
शब्दों के हैं रूप निराले – चौपाई छंद यूँ जो ध्वनियाँ बोली जाती। भावों को अपने बतलाती।। वर्णों से जो निर्मित होती। है शब्द वही तो कहलाती।। शब्दों के है…