बहुत गरम हुए सूरज दादा- अमरनाथ त्रिवेदी

बहुत गरम हुए सूरज दादा बहुत गरम हुए सूरज दादा, कोई उन्हें समझाए न। कैसे हमारे दिन कटेंगे, कोई उन्हें बतलाए न। सूरज दादा बड़े सवेरे, अपना रंग दिखाते हैं।…

हमहु स्कूल जैबय- कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’

हमहु स्कूल जैबय (अंगिका कविता) बस्ता लेके हमहु मैय्या स्कूल पढ़े जैबय। पढ़-लिखकर हमहु बड़ो आदमी बन जैबय।। बड़ो आदमी बनी के मैय्या खूब पैसा कमैबय। और तोरा लय मैय्या…

दिल तो बच्चा है जी – बाल गीत – रत्ना प्रिया

बाल गीत (दिल तो बच्चा है जी) ……………………… बचपन की अठखेली, प्यारी-प्यारी बोली, पल में रूठें, मानें, हर गम से अनजाने, मन तो सच्चा है जी । दिल तो बच्चा…

सीख- विजात छंद मुक्तक – राम किशोर पाठक

सीख- विजात छंद मुक्तक सदा वाणी सहज बोलें। नहीं विद्वेष को घोलें।। अगर कोई सताए तो। नहीं चुपचाप से रो लें।। अभी बचपन सुहाना है। सभी सपने सजाना है।। दबे…

बचपन – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

बचपन सुन्दर! मनमोहक, समय, रुका नहीं क्यों? शायद! रुकता नहीं वक्त, भुला नहीं क्यों? खेल! मैदान, दौड़, रूठना , मनाना, गुड़ियों की शादी दूल्हा और बाराती, रेत का घरौंदा! सब…

फूल खिला माहवारी का- रत्ना प्रिया

फूल खिला माहवारी का सृजन को गति देने में, पूर्ण सहयोग है नारी का, सृष्टि को विस्तारित करने, फूल खिला माहवारी का । किशोरवय में आते ही, जब कोमल कलियाँ…

पत्रकार – नीतू रानी

पत्रकार सुबह सबेरे दरवाजे पर आता है अखबार, इस अखबार में संवाद देने वाले का नाम पत्रकार पत्रकार पत्रकार पत्रकार। अगर कहीं कुछ होता है तो जल्दी कोई न पहुँचता,…

गरल सहज जो पी लेते हैं – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

गरल सहज जो पी लेते हैं मधुर सुधा रस पी लेते हैं, बोलो देखा है कल किसने, प्रतिपल जीवन जी लेते हैं, आओ थोड़ा जी लेते हैं। बैठे गुमसुम गुमसुम…