मंजिल हीं एक ठिकाना है – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

मंजिल ही एक ठिकाना है मंजिल तक हमको जाना है चलना तो एक बहाना है, मंजिल ही एक ठिकाना है। पैरों के छाले मत देखो, मंजिल तक हमको जाना है।…

सफल बनो- मनमोहन छंद – राम किशोर पाठक

सफल बनो- मनमोहन छंद प्यारे बच्चों, बनो सफल, श्रम से होते, सभी सबल, रुकों नहीं तुम, चलो निकल, श्रेष्ठ सीख का, करो अमल। बनना तुमको, वीर प्रवर, रोके कोई, नहीं…

कर्तव्य बिना अधिकार नहीं – अमरनाथ त्रिवेदी

कर्त्तव्य बिना अधिकार नहीं कर्त्तव्य बिना अधिकार नहीं , इस जीव जगत के पार नहीं। यह जीवन की  ऐसी थाती है, कभी इसके बिना स्वीकार नहीं । परिस्थितियां चाहे जैसी हों ,…

पर्यावरण संरक्षण – मनु कुमारी

पर्यावरण संरक्षण भाईयों वृक्ष लगाना, बहनों वृक्ष लगाना। पर्यावरण सुरक्षा में सब मिलकर हाथ बढ़ाना ।। भाईयों वृक्ष लगाना, बहनों वृक्ष लगाना.. जल पर हीं है जीवन सारा,जल को रोज…

अच्छा मौका खो दिया – कुण्डलिया छंद – राम किशोर पाठक

अच्छा मौका खो दिया – छंद – कुण्डलिया (०१) अच्छा मौका खो दिया, हमनें उनके पास। लौट वहाँ से आ गया, किया नहीं कुछ खास।। किया नहीं कुछ खास, मिटा…

मातृ दिवस – गिरीन्द्र मोहन झा

मातृ दिवस   पिता देखता है स्वप्न, मेरा बेटा नाम करे, शुभ-श्रेष्ठ काम करे, प्राध्यापक, जिलाधिकारी बने, हृदय में होता प्यार, मुख पर अमृतवचन, ये वचन देते पग-पग पर, शिक्षा…