प्यारा गाँव याद बहुत आता है मुझको सुंदर सा मेरा प्यारा गाँव हरे भरे से वो बाग बगीचे पट खोले कलियाँ आँखे मींचे धरती का स्वर्ग यहीं समाए सब दांव…
Author: Vijay Bahadur Singh
धन्यवाद करूँ प्रभु तेरा-मधुमिता
धन्यवाद करूँ प्रभु तेरा परमपिता परमात्मा कहे ये मेरी आत्मा धन्यवाद करूँ प्रभु तेरा। मन में ज्योत जगाया, मुझको गले से लगाया। सच की राह दिखाया, जीवन जीने की…
मीठा-खारा-एकलव्य
मीठा-खारा दो तत्वों के मेल से मैं जल बन जाता हूँ स्थान विशेष को पाकर रूप बदल पाता हूँ। मूल रूप से दो मैं होता मीठा-खारा मैं कहलाता पदार्थ तीन…
कैसी व्वस्था-संयुक्ता कुमारी
कैसी व्यवस्था कैसी है हमारे सभ्य समाज की व्यवस्था? कोई कब समझेगा गरीब की अवस्था? आवाज उठाओ हो रहा है अत्याचार। चहुँ ओर से घिरे देखते हैं, हम बन लाचार।।…
मैं शिक्षक हूँ-स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
मैं शिक्षक हूँ मैनें तो सूरज चाँद रचा, इस जीवन का सम्मान रचा, नव अंकुर नव कोपलों में, रच बस कर जीवन मान रचा। खुद जलकर तपकर सींच रहा, खुद…
कुदरत-प्रीति कुमारी
कुदरत कुदरत तेरे रंग हजार, इस जीवन रूपी नैया का, है तू ही खेवनहार। कुदरत तेरे रंग हजार। कभी तू देता ढेरों खुशियाँ, कभी दु:खों के पहाड़, और कभी तू…
निर्वाण-मनोज कुमार दुबे
निर्वाण हे मातृभूमि वसुधा धरा वसुंधरा। अर्पित है तेरे चरण रज लोहित मेरा।। तू विभवशालिनी विश्वपालिनी दुःखहर्त्री है। भय निवारिणी शांतिकारिणी सुखकर्त्री है।। निर्मल तेरा नीर अमृत सा उत्तम। शीतल…
इस माटी की शान बढ़ाएँ-दिलीप कुमार गुप्ता
इस माटी की शान बढाएँ जलाकर स्वदेशी सुगंधित गुलाल लगाएँ पतंग उड़ाकर स्वदेशी स्वाभिमान का तिरंगा फहराएँ आओ! स्वदेशी अपनाएँ इस माटी की शान बढाएँ । लाखों हाथों को काम…
अच्छी आदत-भवानंद सिंह
अच्छी आदत आओ बच्चो तुम्हें बताएँ अच्छी आदत तुम्हें सिखाएँ, सुबह सबेरे उठना अच्छा सुनलो इसको सारे बच्चा। उठकर नित्यक्रिया हो आओ साबुन से तुम हाथ धुलाओ, खाने के पहले…
गोरैया की आत्म व्यथा-अपराजिता कुमारी
गौरैया की आत्मव्यथा मैं हूँ चुलबुली सी गौरैया स्थिर नहीं मैं रह पाती हूंँ, चहक चहक कर फुदक फुदक कर परिस्थितियों के अनुकूल ढल जाती हूँ। मैं हूँ चुलबुली सी…