चलो हाथ धोते हैं अवधेश कुमार

चलो हाथ धोते हैं ।

एक दिन हाथ बोले ।
चलो आज नया काम करते हैं,
गंदगी से दोस्ती तोड़ते हैं,
साबुन-पानी संग हाथ धोते हैं।
उंगलियाँ हँसकर बोलीं ,
देखो, हमें तो चमकना दमकना है,
गंदे हाथों के सारे रोगों को
हमको तो हराना है।
पानी आया टपकता-सा,
साबुन झाग बन के बुलबुले चमकता सा ,
मिलकर बोले – चलो रगड़ो,
हर गंदगी को भगाओ ,
और इससे लड़ो झगड़ो।
पानी साबुन दो मिनट साथ,
स्वच्छ रहेगा जीवन और होगी स्वच्छ्ता की बात ।
उंगलियाँ, नाखून, हथेली सब एक झटके में साफ,
हाथों ने गाया गीत,
“स्वच्छता हमारा मीत,”।
छोटे-से इस जादू से
सारा जग हुआ नवनीत।
अब हर बार खाने से पहले
स्वच्छ्ता का पाठ पढ़ते हैं ,
चलो हाथ धोते हैं ।

अवधेश कुमार ,
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय रसुआर , मरौना , सुपौल

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