किताबों की ओर लौटो – अवधेश कुमार

किताबों की ओर लौटो –
किताबों की ओर लौटो फिर से,
ज्ञान के दीप जलाओ फिर से।
इन पन्नों में बसी हैं कहानियाँ संघर्ष की ,
हर शब्द में छुपा है भविष्य सुनहला दिन की ।
सूने से कमरे में जब गूंजे बच्चों की हँसी,
पाठशाला का सपना सच होता वहीँ कहीं।
डिजिटल युग की दौड़ में ना खो दो पहचान,
मूल्य किताबों का समझो, है ये सबसे महान।
मिलेगा यहाँ विज्ञान का चमत्कार,
इतिहास की गाथाएँ, भूगोल का संसार।
जीवन के सवाल हों या सपनों की बात,
किताबें देंगी हर उलझन का सरल जवाब।
हर शीर्षक , हर पाठ , हर चित्र देता सवालों की बौछार
बताती किताबें समस्या समाधान और करती नवाचार को तैयार ,
तो आओ लौट चलें अपनी जड़ों की ओर,
तकनीकों से सीखते बच्चे ,
पर किताबों से न हो दूरी ,
इनके बिना जीवन यात्रा है अधूरी ।
शिक्षा के सशक्त स्तम्भ—किताबों की ओर।
ज्ञान की पूँजी जगाये नवचेतना ,
शिक्षा की राह में किताब सबसे प्रगति की एक भावना ।
स्वप्निल भविष्य, रोशन मन हमारा,
नई पीढ़ी के हाथों में हो किताबों का सितारा।
प्रस्तुति – अवधेश कुमार
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय रसुआर , मरौना , सुपौल

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