बाल अधिकार
बाल दिवस पर आओ बच्चों,
करती हूँ “बाल अधिकार” की बात।
इसे सुनलो, समझो और गुनो,
मिलेगी खुशियों की सौगात।
वर्ष 1959 ई० में बाल
अधिकार की घोषणा हुई,
फिर 20 नवंबर 2007 ई० में
इसे स्वीकृति मिल गई।
बाल अधिकार के सुरक्षा और सम्मान के लिए हम,
बाल दिवस मनाते हैं।
हर साल यह पर्व मनाकर,
जन-जन में जागरूकता फैलाते हैं।
पूरे विश्व में 20 नवंबर को
यह मनाया जाता है।
लेकिन भारत वर्ष में बच्चों
14 नवंबर को मनाया जाता है।
प्यारे बच्चों के चाचा नेहरू के
जन्मदिवस के शुभ अवसर पर,
बाल दिवस मनाया जाता है।
पहला अधिकार है जीवन का।
जीवन जियो, हंस के जियो,
खुशी से जियो, स्वतंत्र रूप में जियो,
यह जीवन बड़ा अनमोल है।
इसे खुले मन से आनंद रुप में जियो,
क्योंकि तुम देश के भविष्य हो।
दूसरा अधिकार है भोजन-पोषण
स्वस्थ जीवन जीने के साथ,
हमेशा पौष्टिक भोजन खाओ।
मांसाहार का त्याग करो और,
शुद्ध शाकाहार अपनाओ।
साग, सब्जी, फल, दूध मटर-पनीर,
खोवा, मलाई, मिठाई खाओ।
स्वस्थ तन में स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता।
“विकास” है चौथा अधिकार।
पाँचवा अधिकार है शिक्षा।
शिक्षा पाकर जीवन को समृद्ध बनाओ।
शिक्षा से होता सर्वांगीण विकास,
जिससे तुम्हें होगी तेरी शक्तियों का एहसास।
छठा अधिकार है “पहचान”।
शिक्षा से हीं होगा ” स्व ” का ज्ञान।
सातवां अधिकार है “राष्ट्रीयता”,
राष्ट्र सेवा पर सर्वस्व लुटाना।
“परिवार” के कर्तव्यों का पालन करके,
नेकी और इंसानियत से समाज में
तुम “नाम” कमाओ।
सबपर प्यार लुटाते रहना,
हँसना और “मनोरंजन” करना।
बदसलूकी और गैरकानूनी काम, जो कोई तुमसे करवाये,
बाल मजदूरी, बाल विवाह,
ये सब कानूनी अपराध कहलाए।
तुम अपने अधिकार को जानो।
शिक्षा को हथियार बनाओ।
तुम्हारे ऊपर होगा देश का जिम्मा,
इसके लिए तुम तैयार हो जाओ।
मनु कुमारी
प्रखण्ड शिक्षिका
बायसी, पूर्णियाँ, बिहार