बारिश और पकौड़े : बाल कविता – अवधेश कुमार
बाहर हो रही थी झमाझम बारिश,
मन मे हो रही थी पकौड़े की ख्वाहिश।
डर लग रहा था कैसे कहूँ माँ से,
सामने से आयी दादी अपने कमरे से।
दादी माँ! दादी माँ! मेरी एक बात सुनो,
मौसम हो गया सुहाना नाश्ते में पकौड़ी चुनो।
दादी मुस्काई, बोली—”बहुत बढ़िया बात,
चलो बनाएं साग के पकौड़े साथ-साथ।”
तेल में झरझराते, नाचते पकौड़े गोल-मटोल,
चटनी के संग लगा स्वाद अनमोल।
फिर दादी ने सुनाई एक प्यारी कहानी,
बारिश और पकोड़े की जुगलबंदी की निशानी।
पारिवारिक प्रेम, सीखों का सागर,
दादी की ममता और सीख, जीवन में उजागर।
प्रस्तुति : – अवधेश कुमार,
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय रसुआर, मरौना, सुपौल
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