भारत देश हमारा है-नूतन कुमारी

आज अपनी धरती को दुल्हन बनाऊँ

कोशिश यही कि तेरी स्वतंत्रता बरकरार रहे,
गगन के तले तिरंगा ध्वज, यूँ ही लहराते रहे,
वतन के लिए जान, जरूरत पड़ने पर दे जाऊँ
आज अपनी धरती को दुल्हन बनाऊँ।

राम, कृष्ण, गाँधी से रोशन धरती पर,
निर्मल गंगा प्रेम भाव की रसधारा बहाऊँ,
अपने लहू से तेरी मांग भरकर,
आज अपनी धरती को दुल्हन बनाऊँ।

हर जुल्मों सितम हँस कर सह जाऊँ,
चाहे माथे पर कफन यूँ बंधी रहे,
न्योछावर कर खुदी को खुशी के नगमे गाऊँ,
आज अपनी धरती को दुल्हन बनाऊँ।

गीतों से अपने राष्ट्र को शोभित कर जाऊँ,
प्रेम सुधा की बरसा लाकर द्वेष, दंभ को दूर करुँ,
ताउम्र स्वाधीनता का परचम लहराऊँ,
आज अपनी धरती को दुल्हन बनाऊँ।

ऐ वतन! मुझे तुझसे प्यारा कोई नहीं,
नवेली वधू सी तुझे, मैं आज सजाऊँ,
जन-गण-मन से गूँजे आसमान सारा,
आज अपनी धरती को दुल्हन बनाऊँ।

भारत देश हमारा है

पावन नदियों का संगम है,
चहुँ ओर प्रेम का नारा है।

जहाँ देवों ने अवतार लिया,
वह भारत देश हमारा है।

पवित्र तीर्थों का स्थल है,
बहती गंगा सी धारा है।

राम, कृष्ण गाँधी से रोशन,
स्वर्ग से सुंदर देश हमारा है।

हिंदी जिसकी मातृभाषा है,
हर दिल में प्रेम, भाईचारा है।

सोना उगलती हमारी धरती,
कृषि प्रधान यह देश हमारा है।

खुली हवा में श्वास ले पायें,
यह सुंदर सौभाग्य हमारा है।

वीर सपूतों के अथक प्रयास ने,
हमें दुख व गुलामी से उबारा है।

नमन करें हम अपने ध्वज को,
जो अमिट पहचान हमारा है।

गर्व करें हम अपने राष्ट्र पर,
जिसने फूलों सा हमें सवाँरा है।

अपना तन-मन अपना जीवन,
सब कुछ तुझ पर ही वारा है।

सुनों देश के देशवासियों,
यह सुंदर देश हमारा है।

नूतन कुमारी 
डगरुआ, पूर्णियाँ
बिहार

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