बिहार दर्शन-सुधीर कुमार

बिहार दर्शन

बिहार दिवस पर आओ बच्चों
बिहार दर्शन हम करते हैं।
आज के दिन प्यारे प्रदेश को
शत शत नमन हम करते हैं।
बंगाल, उड़ीसा और बिहार
तीनों ही साथ थे पहले।
बाईस मार्च सन बारह को यह
अलग हुआ था समझ लें।
हरा भरा व सुंदर बहुत है
अपना ये प्यारा प्रदेश।
फल फूलों से भरे बगीचे
इसकी है पहचान विशेष।
देशभक्त और महापुरूषों की,
भूमि रही है बिहार।
कुंवर सिंह, राजेंद्र प्रसाद और
जे पी को जाने संसार।
मंडन मिश्र और आर्यभट्ट से
ज्ञानी और विद्वान यहां।
सीता माता जैसी देवियां
पैदा हुई है सदा यहां।
चंद्रगुप्त औ अशोक महान
से राजा की है कर्म भूमि।
गांधी जी का सत्याग्रह और महावीर की जन्मभूमि।
दिनकर, नेपाली, रेणु सम
कुछ साहित्यकार हैं ऐसे।
हिंदी के साहित्याकाश में
चमके सूर्य के जैसे।
भिखारी ठाकुर, विंध्यवासिनी,
शारदा सिन्हा भी है।
लोक कला और गीतों को
जिंदा रखने वाली है।
मधुबनी कला बिहार की
अपनी है पहचान।
पर्वत पुरुष है दशरथ मांझी
कितने श्रेष्ठ महान।
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई
सभी यहां है रहते।
एक थाली में साथ हैं खाते
सुख दुख मिलकर सहते।
होली, दीवाली, दुर्गापूजा,
और छठ है पर्व हमारे।
हंसी, खुशी और प्रेम बढ़ाते
जीवन में ये उत्सव सारे।
नालन्दा यूनिवर्सिटी कभी थे
यहां ज्ञान की खान।
विक्रमशिला और तक्षशिला को
भी तू कम न जान।
गया, राजगीर, पावापुरी हैं
तीर्थ स्थान यहां के।
सोनपुर, खगड़ा, सिंहेश्वर का
मेला लगता जहां पे।
तारामंडल, गोलघर, जैविक उद्यान
सब हैं दर्शनीय।
जलमंदिर, सूर्यमंदिर, पटनदेवी
सब हैं पूजनीय।
कोशी, कमला, गंडक नदियां
सदियों से इसको पोसे।
पूण्य सलिला गंगा मैया
सबके पाप को धोते।
लिट्टी, चोखा, दही, चूड़ा
और विभिन्न पकवान।
मनेर का लड्डू, बाढ़ की लाई
सदियों से है जान।
मुजफ्फरपुर की लीची या फिर
हाजीपुर का केला।
छील के खा लो जल्दी जल्दी
नहीं है कोई झमेला।

सुधीर कुमार

म वि शीशागाछी
 टेढ़ागाछ किशनगंज

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