आँचल मैं भर लूँ मैं सावित्री बन ईश्वर से , पिय प्राण वरण कर लूँ। मैं काल के नियमों को भी, प्रण से ,आज शमन कर लूँ। मैं अपने साहस…
Category: दिवस
वट-सावित्री – दोहा छंद – राम किशोर पाठक
वट- सावित्री – दोहें खास अमावस ज्येष्ठ को, मिलता ऐसा योग। पति की रक्षा कर सके, नारी निज उद्योग।।०१।। सती शक्ति भूषण सदा, नारी का सम्मान। जिसके आगे हैं झुकें,…
कछुए की चाल- सुरेश कुमार गौरव
कछुए की चाल धीरे-धीरे चलता कछुआ, धैर्य-ध्वनि-सा बलता कछुआ। शांत, सहज, संकल्पी लगता, मौन मगर हर पलता कछुआ।। जल-थल दोनों जीवन उसका, गति में गूढ़ विवेक है जिसका। छोटा तन,…
विश्व कछुआ दिवस – भूषण छंद – राम किशोर पाठक
विश्व कछुआ दिवस – भूषण छंद आज हुआ कछुआ दुर्लभ, रहता है जल के भीतर। कर सकता भी है थल पर, जीवन अपना गुजर-बसर।। लम्बा जीवन जीता यह, इसको ले…
शौर्य की शपथ – सुरेश कुमार गौरव
“शौर्य की शपथ” हिंसा की ज्वाला न जलने देंगे, भारत माँ को न छलने देंगे। धरती पर जो शांति उगाई, उसे न अब हम मुरझाने देंगे॥ वीरों की यह पुण्य…
राष्ट्रीय आतंक विरोधी दिवस – राम किशोर पाठक
राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस – गजल आप आतंक से लड़ सकें जो कभी, रोज डर से निशाना बनेगा नहीं। कौन आया यहाँ है अमर हो सदा, मार डालो अगर तो…
मातृ दिवस – गिरीन्द्र मोहन झा
मातृ दिवस पिता देखता है स्वप्न, मेरा बेटा नाम करे, शुभ-श्रेष्ठ काम करे, प्राध्यापक, जिलाधिकारी बने, हृदय में होता प्यार, मुख पर अमृतवचन, ये वचन देते पग-पग पर, शिक्षा…
बुद्धं शरणं गच्छाम: – राम किशोर पाठक:
बुद्धं शरणं गच्छाम:। संघं शरणं गच्छाम:।। चत्वारि आर्यसत्यानि, जीव जीवने संगानि, दु:खं, दु:खस्य कारणं वा, निरोधं, निरोधगामिनीं प्रतिपदा। बुद्धं शरणं गच्छाम:। संघं शरणं गच्छाम:।। अहिंसा, अस्तेय, कामेच्छा वर्जनम्, अनृतं च…
धर्मचक्र प्रवर्तन – सुरेश कुमार गौरव
सारनाथ की पुण्य धरा पर, सूर्य उठा फिर ज्ञान गगन पर। पाँच भिक्षु जब पास आए, विनय भाव से शीश झुकाए॥ बुद्ध ने वाणी मधुर सुनाई, करुणा, सत्य,…
बुद्धत्व की प्राप्ति – अमरनाथ त्रिवेदी
बड़ा लक्ष्य जिन्हें पाना हो , छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान दिया करते । जिन्हें अपने पर विजय पाना हो , वे कभी विलासी बातों में …