बचपन बगीचे में नही जाता बचपन, बागों की दौड़ नही लगाता बचपन, मोबाईल की दुनिया में देखो कैसे अब गुम हो जाता बचपन। मोहल्ले की गलियाँ शांत पड़ी हैं, भरी…
Category: बाल कविता
बहुत गरम हुए सूरज दादा- अमरनाथ त्रिवेदी
बहुत गरम हुए सूरज दादा बहुत गरम हुए सूरज दादा, कोई उन्हें समझाए न। कैसे हमारे दिन कटेंगे, कोई उन्हें बतलाए न। सूरज दादा बड़े सवेरे, अपना रंग दिखाते हैं।…
हमहु स्कूल जैबय- कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
हमहु स्कूल जैबय (अंगिका कविता) बस्ता लेके हमहु मैय्या स्कूल पढ़े जैबय। पढ़-लिखकर हमहु बड़ो आदमी बन जैबय।। बड़ो आदमी बनी के मैय्या खूब पैसा कमैबय। और तोरा लय मैय्या…
दिल तो बच्चा है जी – बाल गीत – रत्ना प्रिया
बाल गीत (दिल तो बच्चा है जी) ……………………… बचपन की अठखेली, प्यारी-प्यारी बोली, पल में रूठें, मानें, हर गम से अनजाने, मन तो सच्चा है जी । दिल तो बच्चा…
सीख- विजात छंद मुक्तक – राम किशोर पाठक
सीख- विजात छंद मुक्तक सदा वाणी सहज बोलें। नहीं विद्वेष को घोलें।। अगर कोई सताए तो। नहीं चुपचाप से रो लें।। अभी बचपन सुहाना है। सभी सपने सजाना है।। दबे…
बचपन – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
बचपन सुन्दर! मनमोहक, समय, रुका नहीं क्यों? शायद! रुकता नहीं वक्त, भुला नहीं क्यों? खेल! मैदान, दौड़, रूठना , मनाना, गुड़ियों की शादी दूल्हा और बाराती, रेत का घरौंदा! सब…
आम फलों का राजा है – अमरनाथ त्रिवेदी
आम फलों का राजा है बड़े बड़े और पीले पीले , होते आम बड़े रसीले । सभी फलों का राजा है यह , सभी फलों से ताजा है यह ।…
बचपन में जो नहीं पिटाया- रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
बचपन में जो नहीं पिटाया बचपन में जो नहीं पिटाया, उसका है इतिहास नहीं। निज घर में पिंजरबद्ध हुआ,उसका है इतिहास कहीं।। बचपन के पनघट पर जाकर,घोंघे मोती पातें हैं।…
माँ की सीख- स्रग्विणी छंद – राम किशोर पाठक
स्रग्विणी छंद आधारित माँ की सीख- बाल सुलभ रोज माँ टोकती है सुधारो इसे। दोष तूने किया है निहारो इसे।। भूल कोई उसे है सुहाता नहीं। रोज मैं भी उसे…
हम नन्हें-मुन्हें बालक हैं – अमरनाथ त्रिवेदी
हम नन्हें-मुन्हें बालक हैं हम नन्हें-मुन्हें है बालक, दिल के बहुत हीं भोले। कोई पूछता जब हमसे, हैं बन जाते बड़बोले।। जागने से सोने तक, निश्चित क्रम है होता। पढ़ने के विषय जितने,…