शिक्षा बना बाजारवाद का आलय। जंगल में खुला ग्लोबल विद्यालय।। जब जंगल में विद्यालय खुला। प्रचार प्रसार खुब जमके हुआ।। उत्साहित थे सभी जानवर। नाम लिखाये सब जमकर।। महंगी फीस…
Category: बाल कविता
वर्षा रानी- रणजीत कुशवाहा
खुब बरसों प्यारी वर्षा रानी। पग-पग कर दो पानी-पानी।। बादलों से मोरों को नचा ओ। मेंढक की टर्र – टर्र सुनाओ।। पेड़-पौधों में हरियाली दो। जीव-जंतु में खुशहाली दो।। जब…
फूल बनूँ- अमरनाथ त्रिवेदी
फूल बनूँ ; काँटें न बनूँ , सबके मन का मीत बनूँ । रगड़ा नही किसी जन से हो , जन – जन का संगीत बनूँ । आये हैं इस…
चूहा जी- मीरा सिंह “मीरा”
(बाल कविता) दौड़े दौड़े घर में आते ताक झांक करते चूहा जी। नए पुराने सारे कपड़े कुतर कुतर जाते चूहा जी। अम्मा मेरी है गुस्साई झट से चूहे दानी लाई।…
बचपन – प्रीति कुमारी
जीवन का वह स्वर्णिम क्षण, जो था नन्हा- मुन्ना बचपन । उस बचपन की कुछ यादें हैं, कुछ प्यारे-प्यारे वादे हैं । जो की थीं हमनें पेड़ों संग, गौरैयों संग,गुब्बारों…
पढ़ाई -दीपा वर्मा
दुहाई है दुहाई हाय ये पढ़ाई । कभी नन को नही भाए यह जालिम पढ़ाई । मम्मी कहती..पापा कहते दादी कहती..दादा कहते समी कहते, पढो पढ़ो। खेलकूद हो गया मुश्किल…
बाल पहेलियां- मीरा सिंह “मीरा”
1 देखो दौड़े-दौड़े आएं सभी दिशा में हैं छितराएं कहीं कुछ भी नजर ना आए धुंधली धुंधली सभी दिशाएं।। 2 घर में आती दाना चुगती उड़ती फिरती नभ को छूती…
जुड़ जाओ स्कूल से- अमरनाथ त्रिवेदी
बैठो न बेकार कभी भी, जुड़ जाओ स्कूल से । छोड़ स्कूल तू कुछ न पाओ , न जीवन को तू व्यर्थ गँवाओ । अनपढ़ होकर तुम शरमाओ , न…
बाल कुसुम- जैनेन्द्र प्रसाद रवि
बागों में कोयल बोले,कौआ बैठा डाल पर, मोर भी मोहित हुआ, मोरनी की चाल पर। मछली को मीन कहें, मगर मगर कौन ? बच्चे सारे हँस पड़े, गुरु के सवाल…
बाल घनाक्षरी -जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
बच्चे करें भागदौड़, जैसे होता घोड़ा दौड़, कोई कीत-कीत कोई, खेलता कबड्डी है। किसी की कमीज ढ़ीली, नया जूता पैंट नीली, कोई पेन्हें कोट-शर्ट, कोई पेन्हें चड्डी है। बिना चक्का…