महात्मा बुद्ध- जैनेन्द्र प्रसाद रवि

संसार से नेह तोड़, ईश्वर से नाता जोड़, सिद्धार्थ से बन गए, बुद्ध भगवान हैं। धूप – ताप सहकर, भूखा प्यासा रहकर, वैशाख पूर्णिमा दिन, पाए आत्मज्ञान हैं। लुंबिनी में…

“मानवी”- सुरेश कुमार गौरव

हुई धरा पर जब से मैं अवतरित,श्रद्धा का पूरा आवरण हूं, नाम धराया “मानवी” व “अंशिका”,इसी का मैं अन्त:करण हूं, सबकी गोद में खेलती-देखती, चहुंओर बांटती खूब ममता सबके मन…

कर्मयोगी – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो। बनकर दीन–हीन ऐ बंदे, हाथ पसारे मत बैठो। माना अगम अगाध सिंधु है, हार किनारे मत बैठो। छोड़ शिथिलता…

शुभागमन-विवेक कुमार

शुभागमन निश्छल चंचल मन, आंखों में संजोएं, सपनों की उमंग, फंख फैलाए भरने को गगन की उड़ान, नव आगंतुकों हेतु सज चुका है, शिक्षा का दरबार, आइए पधारिए हमारे भविष्य…

हौसला – कुमकुम कुमारी

हौसला देखो आँसू न बहाना, तुम हरदम मुस्कुराना। चाहे लाख तूफाँ आए, कदम पीछे न हटाना।। सदा आगे बढ़ते जाना, देख बाधा न घबराना। अपनी मंजिल पाने को, तुम तूफाँ…