बालमन फिर झूले-भोला प्रसाद शर्मा

बालमन फिर झूले बालमन झूले विद्यालय में बालमन फिर झूले—–2 बच्चे भी आए गुरुवर भी आए, देख दूसरों को फूले न समाये। नन्हें भी आकर मन को हर्षाये, टप्पू टुनटुनियाँ…

अनमोल व अदृश्य मित्र-विजय सिंह नीलकण्ठ

अनमोल व अदृश्य मित्र   निराशा से मन भरा हुआ था आशा कहीं न दिखती थी सामने होते स्वादिष्ट व्यंजन पर न कोई जॅंचती थी। कारण था मुॅंह की बीमारी…

मेरी बिटिया-मनु कुमारी

मेरी बिटिया बिटिया मेरी अब पलटने लगी है, सभी के दिलों में उतरने लगी है। पलटना भी है एक विकासात्मक प्रक्रिया, ये बदलाव उसमें अब आने लगी है, बिटिया मेरी…

ईद-मेराज रज़ा

ईद ईद आई है, ईद आई है, कपड़े नए पहनकर निकले, बच्चे-बूढ़े सारे! उतरे हों आसमान से ज्यों, झिलमिल-झिलमिल तारे। प्यारे से होंठों पर सबके खुशियां छाई है। ईद आई…

नौनिहाल भारत माँ के-अंजलि कुमारी

नौनिहाल भारत माँ के नौनिहाल भारत माँ के विद्यालय में पढ़ने आते हैं । बनकर पथप्रदर्शक हम शिक्षक उनका भविष्य गढ़ने आते हैं ।। हर वर्ग से हर समुदाय से,…