दृढ़ संकल्प दृढ़ संकल्प करें हम मन से, हिन्दी का उत्थान करेंगे। हिन्दी है जनमानस की भाषा, हो सर्वोन्नति, अभियान करेंगे। है हिन्दी से हिन्दुस्तान हमारा, हृदय से इनका सम्मान…
Category: Prem
Love has no definition, and it is a feeling that comes within the heart. The meaning of love can be different for different people, different age groups, and different relationships, but the surface is the same for everyone. Love comes from knowledge, and for this, one needs to understand oneself.
सुबह की रोटी-विनय कुमार “ओज”
सुबह की रोटी आधुनिकता के चक्कर में भईया रोटी बासी भूल गये, सुबह का नाश्ता, मैगी-बिस्किट खाकर ख़ुद को कूल कहे। चीनी, जलेबी, गुड़, पेड़ा, घी संग बासी रोटी भाता…
चिड़ियाँ रानी-प्रीति कुमारी
चिड़ियाँ रानी ची-ची करती आई चिडियाँ, दाना चुन चुन लाई चिडियाँ । कभी थिरकती कभी मटकती आसमान में वो उड़ जाती डाल डाल और पात पात पर चिडियाँ रानी फुदक-फुदक…
प्रेम से जीना सीखें-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
प्रेम से जीना सीखें सदा प्रेम से जीना सीखें प्रेम ही जीवन सार है। अगर प्रेम से नहीं रहोगे जीवन तभी बेकार है।। नहीं कभी बिकता है जानो यही तो…
गाँव की मिट्टी-अनुज वर्मा
गाँव की मिट्टी आज भी जीवंत है गाँव, उसकी मिट्टी और छाँव। कच्ची थी पगडंडी, नहीं थी कोई मंडी। पेड़ों पर झुलना, गिरकर फिर संभलना। नानी दादी की कहानी, खूब…
बचपन-अमित आर्यन
बचपन जो दुलारा गया वो भी बचपन था जो सँवारा गया वो भी बचपन था बेफिक्री में जिसको जीते हम गए मिला जिससे सहारा वो बचपन था। डगमगाते कदम अनकही…
तितली रानी-नरेश कुमार ‘निराला’
तितली रानी तितली रानी तितली रानी तितली रानी बड़ी सयानी, बाग-बगीचे वन-उपवन में धूम मचाती बनकर रानी। सुन्दर-सुन्दर कोमल काया रंग-बिरंगी पंखे वाली, सबके मन को भाती तितली जब उड़ती…
शहीदों की कहानी सुनो मेरी जुबानी-कुमकुम कुमारी
शहीदों की कहानी सुनो मेरी जुबानी शहीदों की कहानी, आओ, सुनो मेरी जुबानी। देश के खातिर जिसने, दे दी अपनी जिंदगानी। आओ बच्चों तुम्हें सुनाए, उनकी अमर कहानी। शहीदों की…
मित्रता-जैनेन्द्र प्रसाद रवि
मित्रता कृष्ण जैसा हो मित्र हमारा, दीन सुदामा को दिल हारा। प्रेम में पग कर जिसने अपने, बाल सखा को दिया सहारा। मित्र बना था कर्ण किसी का, कर दिया…
ऋतुराज वसंत-लवली वर्मा
ऋतुराज वसंत छह ऋतुओं में एक है, विशेषता जिसकी अनेक है। जिसमें होता सुखद अनुभव, ऋतुराज वसंत है वह। पुष्पित होते बाग-बगीचे, झूला झूलें वटवृक्ष नीचे। रागरंग होता है चहुं…