दृढ़ संकल्प-अर्चना गुप्ता

दृढ़ संकल्प  दृढ़ संकल्प करें हम मन से, हिन्दी का उत्थान करेंगे। हिन्दी है जनमानस की भाषा, हो सर्वोन्नति, अभियान करेंगे। है हिन्दी से हिन्दुस्तान हमारा, हृदय से इनका सम्मान…

सुबह की रोटी-विनय कुमार “ओज”

सुबह की रोटी आधुनिकता के चक्कर में भईया रोटी बासी भूल गये, सुबह का नाश्ता, मैगी-बिस्किट खाकर ख़ुद को कूल कहे। चीनी, जलेबी, गुड़, पेड़ा, घी संग बासी रोटी भाता…

चिड़ियाँ रानी-प्रीति कुमारी

चिड़ियाँ रानी ची-ची करती आई चिडियाँ, दाना चुन चुन लाई चिडियाँ । कभी थिरकती कभी मटकती आसमान में वो उड़ जाती डाल डाल और पात पात पर चिडियाँ रानी फुदक-फुदक…

प्रेम से जीना सीखें-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

प्रेम से जीना सीखें सदा प्रेम से जीना सीखें प्रेम ही जीवन सार है। अगर प्रेम से नहीं रहोगे जीवन तभी बेकार है।।  नहीं कभी बिकता है जानो यही तो…

गाँव की मिट्टी-अनुज वर्मा

गाँव की मिट्टी आज भी जीवंत है गाँव,  उसकी मिट्टी और छाँव।  कच्ची थी पगडंडी, नहीं थी कोई मंडी।  पेड़ों पर झुलना, गिरकर फिर संभलना।  नानी दादी की कहानी, खूब…

तितली रानी-नरेश कुमार ‘निराला’

तितली रानी तितली रानी तितली रानी तितली रानी बड़ी सयानी, बाग-बगीचे वन-उपवन में धूम मचाती बनकर रानी। सुन्दर-सुन्दर कोमल काया रंग-बिरंगी पंखे वाली, सबके मन को भाती तितली जब उड़ती…

शहीदों की कहानी सुनो मेरी जुबानी-कुमकुम कुमारी

शहीदों की कहानी सुनो मेरी जुबानी शहीदों की कहानी, आओ, सुनो मेरी जुबानी। देश के खातिर जिसने, दे दी अपनी जिंदगानी। आओ बच्चों तुम्हें सुनाए, उनकी अमर कहानी। शहीदों की…

ऋतुराज वसंत-लवली वर्मा

ऋतुराज वसंत छह ऋतुओं में एक है, विशेषता जिसकी अनेक है। जिसमें होता सुखद अनुभव, ऋतुराज वसंत है वह। पुष्पित होते बाग-बगीचे, झूला झूलें वटवृक्ष नीचे। रागरंग होता है चहुं…