टीचर्स ऑफ बिहार विस्तार करुँ कैसे तेरा, व्याख्या तेरा है सीमित नहीं, यह टीम टीओबी है अनूठा, उदाहरण में वर्णन निहित नहीं। पद्यपंकज और गद्यगुंजन से, हर रोज सजे इसकी…
Category: Prem
Love has no definition, and it is a feeling that comes within the heart. The meaning of love can be different for different people, different age groups, and different relationships, but the surface is the same for everyone. Love comes from knowledge, and for this, one needs to understand oneself.
धन्यवाद टीचर्स ऑफ बिहार-मनोज कुमार दुबे
धन्यवाद टीचर्स ऑफ बिहार जिस घर में मुझको स्नेह मिला कैसे कहूं मैं धन्यवाद जहाँ जीवन को नव नेह मिला कैसे कहूं मैं धन्यवाद यह केवल कोई मंच नहीं यहां…
टी ओ बी के सृजनहार-प्रीति कुमारी
टी ओ बी के सृजनहार जिसनें हमें यह मंच दिया जिसने हमको पहचान दिया, जिसने हमारी प्रतिभा को निखारने का प्रयास किया, जिसने भरा हमारे अन्दर नई ऊर्जा और नव-संचार, …
टीचर्स ऑफ बिहार-लवली वर्मा
टीचर्स ऑफ बिहार ऐसा मंच है, टीचर्स ऑफ बिहार। करता जो है, हमारी प्रतिभा उजागर। हमारे अस्तित्व को, आपने नई पहचान दी। पंख जकड़े हमारे, उसको नई उड़ान दी। पाया…
टी. ओ. बी. एक पथ प्रदर्शक-कुमकुम कुमारी
टी. ओ. बी. एक पथ प्रदर्शक टीचर्स ऑफ बिहार राइटर्स क्लब को करते हम शत-शत प्रणाम हैं जिसने हम साहित्यकारों को दिया नई पहचान है। गद्यगुंञ्जन व पद्यपंकज लाकर हमारी…
टीचर्स ऑफ बिहार-एम० एस० हुसैन “कैमूरी”
टीचर्स ऑफ बिहार ऐ टीचर्स ऑफ बिहार तेरा है सादर आभार तूने हमारी प्रतिभा को दिया है खूब निखार। तेरे हैं दो अनमोल रतन पद्य पंकज, गद्य गुंजन ब्लाग भी…
जीवन प्रदाता पेड़-लवली वर्मा
जीवन प्रदाता पेड़ आओ हम सब पेड़ लगाएं, पर्यावरण को शुद्ध बनाएं। करता दूषित गैस अवशोषण, देता हमें शुद्ध ऑक्सिजन।। कम करता है यह प्रदूषण , पृथ्वी पर लाता है…
मां की ममता-जैनेन्द्र प्रसाद रवि
मां की ममता मां की ममता सबसे न्यारी, अपनी संतान पर दुनिया वारी। भूख नहीं पर हमें खिलाती, खिलौने देकर हमें मनाती। पीछे-पीछे दौड़ी चली आती, हाथ में लेकर दूध…
मकर संक्रांति-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
मकर संक्रांति उत्तरायणी पर्व का, हुआ सुखद आगाज। ढोल नगाड़े बज रहे, होंगे मंगल काज।। सूरज नित अभिराम है, जीवन का आधार। देव रूप पूजे सदा, सारा ही संसार।।…
चित्र चिंतन-आँचल शरण
चित्र चिंतन ए स्वप्न परी क्या सोच रही है यूँ काली अंधेरी रातों में? क्या लुप्त हो गया जो ढुूंढ रही हो इस तारों से घिरी नीली अम्बर की अंधियारों…