गुरुवर वाले प्रेम से – अवतार छंद गीतिका झूम रहे सब संग में, कुछ आज कीजिए। गुरुवर वाले प्रेम से, भर हृदय लीजिए।। बच्चों का भी मन लगे, आ सके…
Category: Prem
Love has no definition, and it is a feeling that comes within the heart. The meaning of love can be different for different people, different age groups, and different relationships, but the surface is the same for everyone. Love comes from knowledge, and for this, one needs to understand oneself.
घट-घट वासी शिव संन्यासी – सरसी छंद गीत – राम किशोर पाठक
घट-घट वासी शिव संन्यासी – सरसी छंद गीत बैठे हैं भस्म लगा कैलाशी, करते बेड़ा पार। घट-घट वासी शिव संन्यासी, महिमा अपरम्पार।। महाकाल शंकर विश्वंभर, हर लेते हैं शोक। शरणागत…
नमामि शंभु- राम किशोर पाठक
नमामि शंभु कृपालु शंकर आदि सुरेशा। नमामि शंभु महिषं महेशा।। त्रिलोचनाय कालं करालं। रूपं अनूपं तव चंद्र भालं।। जटा- जूटधारी हरणं क्लेशा। नमामि शंभु महिषं महेशा।। ओमकार रूपं निराकार रूपं।…
तू हीं जग के मालिक – अमरनाथ त्रिवेदी
तू ही जग के मालिक तू ही जग के नैया , तुम्हीं हो खेवैया । तुम्हीं जग के मालिक , तुम्हीं रास रचैया ।। मेरे प्राण भी तुम्ही हो , शक्ति…
भरना इन्हें उड़ान है – प्रदीप छंद गीत – राम किशोर पाठक
भरना इन्हें उड़ान है – प्रदीप छंद गीत बच्चों को हम बच्चा मानें, देना उनको ज्ञान है। नहीं बोध है इनमें ज्यादा, भरना इन्हें उड़ान है।। कहते कोरा कागज उनको,…
नर-नारी दोनों का जग में – लावणी छंद गीत- राम किशोर पाठक
नर- नारी दोनों का जग में – लावणी छंद गीत प्रेम भाव जब रहता मन में, भरकर लगता गागर है। नर- नारी दोनों का जग में, होता मान बराबर है।।…
मेरी लेखनी – भूषण छंद गीत – राम किशोर पाठक
मेरी लेखनी – भूषण छंद आधारित गीत उठा लेखनी लिखते हम, सदा सत्य को करें प्रबल। सभी यहाँ खुश होते कब, लगे कभी मुश्किल सा पल।। झूठ परोसें कहीं अगर,…
लगन सदा मन राम लगाओ- चौपाई – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’
लगन सदा मन राम लगाओ विधा: चौपाई “””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””” जब-जब भाव कथा मन आवै। तब- तब प्रेम राम मन भावै।। प्रभुवर के गुण जो मन गाता। सब सुख-शांति सदा वह पाता।।०१…
कर ले तू उपकार ओ बंदे- मनु कुमारी
करले तू उपकार ओ बंदे करले तू उपकार ओ बंदे, तेरा जन्म सफल हो जाएगा । यह सुंदर तन नश्वर है बन्दे, एक दिन मिट्टी में मिल जाएगा। मानव तन…
मोहनी माया – विधा गीत – राम किशोर पाठक
मोहनी माया – विधा गीत उलझे रहते हम-सब हरपल, चलता न बुद्धि बल है। सदा सजग रहना माया से, माया बड़ी प्रबल है।। अपना सा आभास कराता, हरपल भ्रम…