मैं देश नहीं लूटने दूँगा-कुमकुम कुमारी

मैं देश नहीं लूटने दूँगा मैं देश नहीं लूटने दूँगा, मैं देश नहीं मिटने दूँगा। चाहे जान जाए तो जाय, पर तिरंगे को नहीं झुकने दूँगा। मैं देश ………………….. इस…

तेरी ही तो अक्स हूँ माँ-अपराजिता कुमारी

तेरी ही तो अक्स हूँ माँ जननी, जीवनदायिनी माँ धैर्य धरा सी, अटल पर्वत सी सामर्थ सागर सा, तुझ में, माँ सृजन, सहन, क्षमा, दया करुणा, ममता, त्याग की प्रतिमूर्ति,…

राष्ट्रप्रेम की भावना-प्रियंका कुमारी

राष्ट्रप्रेम की भावना राष्ट्रप्रेम की भावना केवल युद्ध भूमि में ही नहीं होनी चाहिए, इसकी शुरुआत हमें अपने नेक इरादों से करनी चाहिए, ना भेदभाव हो, ना कोई जाति-धर्म का…

ये मेरा घर-मनु कुमारी

ये मेरा घर कितना प्यारा, ये मेरा घर, रहते यहाँ हम, हिलमिल कर। कितना सुन्दर, कितना मनहर, है अपना, ये मेरा घर। मम्मी-पापा, दादा-दादी, भाई-बहन, और चाचा-चाची। सब मिल रहते…

प्रकृति-अर्चना गुप्ता

प्रकृति प्रकृति की प्रवृत्ति आदिकाल से ही निश्छल सहज और सौम्य रही है करती रही है चिरकाल से सबकी तृष्णाओं को तृप्त प्रवाहित होती रही है सदा स्थूल जगत में…

धमाचौकड़ी-रुचि सिन्हा

धमाचौकड़ी बच्चों के मन को हरसाई, चीं-चीं करती चिड़ियां आई। देख नजारा चिड़ियों का, चिंटू ने आवाज लगाई। सुन लो बहना सुन लो भाई , चीं-चीं करती चिड़ियां आई। शोर-शराबा…

ये बेटियाँ- मधु कुमारी

ये बेटियाँ  बेटियाँ उन्मुक्त नदियों की लहरों-सी मदमस्त हवा के ठण्डे झोंकों-सी चहकती, दमकती, मदमस्त छबिली-सी छन-छन के सुरीली गीतों-सी रिश्तों के नाजुक डोर-सी परम्परा निभाती फ़रिश्ते-सी एक मजबूत किंतु…

वे स्वर्णिम दिन-अवनीश कुमार

वे स्वर्णिम दिन वे भी क्या स्वर्णिम दिन थे जब सारी शिक्षा गुरु चरणों में मिल जाया करती थी वेद वेदांग, उपनिषद, ऋचा, ऋचाएँ योग, तंत्र, मंत्र, भूगोल, खगोल की…