कण-कण में तू व्याप्त है, निराकार बनके मौन । हर लम्हा होता महसूस तेरा, तेरे बिना उबारे कौन।। विश्वास फूल की माली बनी, सुगंध तेरा बसेरा। भंवरे तो परागन ले…
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पापा की परी- मीरा सिंह “मीरा”
तुफानों से लड़ी हूं मैं मुश्किल से कब डरी हूं मैं। लहरों की मैं करूं सवारी हिम्मत बल से भरी हूं मैं।। अम्मा की हूं सोन चिरैया अपने पापा की…
मैं पथ का निर्भिक राही- कंचन प्रभा
पथ के राही चले बेफिक्र मंजिले दूर हो रास्ते कठिन हो पथरीली डगर हो काँटे बिछे हो चलना है बस चलते जाना रुकना नहीं है मेरा काम मै हूँ पथ…
खुद को दीप्तिमान कर – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
शांति से सहन कर,अहं का दमन कर, बेकार तकरार में,वक्त न गवाइए। आलस्य को तज कर,खड़ा रह डट कर, विपरीत धार में भी,आगे बढ़ जाइए। चल तू संभल कर, पग…
वीर बन, युद्ध कर-मधु कुमारी
वीर बन, युद्ध कर ——————— स्थिति परिस्थिति कितने भी हो प्रतिकूल तुम अपनी आत्म शक्ति पहचान, मत भूल चाहे राह में हो अनेकों…….. शूल ही शूल तू युद्ध कर, उड़ा…
नन्ही चिड़िया-अमृता सिंह
नन्ही चिड़िया उठ चिड़िया अब आंखे खोल तुझे अम्बर छूने जाना है, अपने नन्हे-नन्हे कदमों पर अपना भार उठाना है। हरे-भरे खेतों से तुझको दाना पाने जाना है, सुदूर झरने…
धुंध के बीच-गिरिधर कुमार
धुंध के बीच स्याह सा कुछ तैरता हवाओं में कवि की मुस्कराहट से बौखला जाता है अरे मैं कोरोना हूं तुम बड़े ढीठ इंसान हो डरते नहीं मुझसे। धत्त! ये…