मैं प्रकृति हूँ मैं प्रकृति हूँ! इंसान मैं तुझे क्या नहीं देती हूँ सबकुछ समर्पित करती हूँ तेरे लिए फिर भी तुम मेरे संग बुरा बर्ताव करते हो क्यों आखिर…
Category: sandeshparak
Sandeshparak poems are poems that are used to convey a message with feelings. Through poems, statements related to the country, the world, and society are transmitted to the people. Teachers of Bihar give an important message through the Sandeshparak of Padyapankaj.
कलम-अवनीश कुमार
कलम मैं जिसके हाथ बस जाऊँ उसके मैं भाग्य बनाऊँ। मैं हूँ बड़ी अनोखी चीज़ संशय इसमे करे न कोई लोग मुझे कई नामों से जानते कोई मुझे कलम, कोई…
मेरा अखंड भारत-मुकुल कुमार कपरिया
मेरा अखंड भारत नया जन्म हो रहा हमारा, नई उमंगे आएंगी, नई नवेली आदत मेरे, जीवन को चमकाएँगी। प्रदूषण मुक्त हो रहा है भारत, निर्मल गंगा का पानी है, कोरोना…
मीठा-खारा-एकलव्य
मीठा-खारा दो तत्वों के मेल से मैं जल बन जाता हूँ स्थान विशेष को पाकर रूप बदल पाता हूँ। मूल रूप से दो मैं होता मीठा-खारा मैं कहलाता पदार्थ तीन…
मैं शिक्षक हूँ-स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
मैं शिक्षक हूँ मैनें तो सूरज चाँद रचा, इस जीवन का सम्मान रचा, नव अंकुर नव कोपलों में, रच बस कर जीवन मान रचा। खुद जलकर तपकर सींच रहा, खुद…
इस माटी की शान बढ़ाएँ-दिलीप कुमार गुप्ता
इस माटी की शान बढाएँ जलाकर स्वदेशी सुगंधित गुलाल लगाएँ पतंग उड़ाकर स्वदेशी स्वाभिमान का तिरंगा फहराएँ आओ! स्वदेशी अपनाएँ इस माटी की शान बढाएँ । लाखों हाथों को काम…
अच्छी आदत-भवानंद सिंह
अच्छी आदत आओ बच्चो तुम्हें बताएँ अच्छी आदत तुम्हें सिखाएँ, सुबह सबेरे उठना अच्छा सुनलो इसको सारे बच्चा। उठकर नित्यक्रिया हो आओ साबुन से तुम हाथ धुलाओ, खाने के पहले…
योग-नीभा सिंह
योग अगर स्वस्थ रहना है सबको, जीवन सफल बनाना सबको, तो योग करें भाई क्यों करें, अपने को निरोग करें। सूर्योदय से पहले उठकर, नित्य कर्म से निवृत्त होकर, खुली…
अरमान-विजय सिंह “नीलकण्ठ”
अरमान हम बच्चों का है अरमान सदा बढ़ाएँ अपना ज्ञान जो देते हैं गुरु महान जिनका हम करते सम्मान। हम सब को भी खेल है भाता जो हम सबका जीवन…
पुस्तक-अश्मजा प्रियदर्शनी
पुस्तक पुस्तक हस्त विराजे सरस्वती के समान। यह सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक, जीवन में है प्रधान। वर्तमान, भूत, भविष्य का ये करता बखान। शाश्वत जगत, ब्रह्मांड का ये देता है दिव्य ज्ञान।…