सहज धरा को स्वर्ग बनाएँ – अंजनेय छंद गीतिका – राम किशोर पाठक

सहज धरा को स्वर्ग बनाएँ – अंजनेय छंद गीतिका आओ मिलकर देश सजाएँ। जन-मानस को पाठ पढाएँ।। सभी भेद का त्याग करें हम। सबको सबसे गले लगाएँ।। होड़ मची बस…

शिक्षा है अधिकार हमारा – गीतिका – राम किशोर पाठक

शिक्षा है अधिकार हमारा – गीतिका शिक्षा है अधिकार हमारा। इससे बनता जीवन प्यारा।। नित्य हमें विद्यालय जाना। गुरुवर देते जहाँ सहारा।। कौशल अपना हमें बढ़ाना। निपुण बनें का लक्ष्य…

विवेकानंद – अहीर छंद – राम किशोर पाठक

विवेकानंद – अहीर छंद मानव का निज धर्म । किए सदा शुचि कर्म।। लिए अलौकिक ज्ञान। दिए अलग पहचान।। अद्भुत बुद्धि विवेक। विवेकानंद नेक।। सपने लिए अनेक। करना भारत एक।।…

वर्षा और जीवन – अंजनेय छंद – राम किशोर पाठक

वर्षा और जीवन – अंजनेय छंद धूम मचाकर बरसा आती। नभ में अपनी नाच दिखाती।। भिन्न-भिन्न वह वेश बनाती। अवनी देख जिसे इठलाती।। मन का मयूर झूम रहा है। धरती…

अपनी माटी से जुड़े – दोहावली – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

अपनी माटी से जुड़ें “””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””” अपनी माटी से जुड़ें, करें सदा गुणगान। बनी इसी से देह है, यही ईश वरदान।।०१ माटी में हैं गुण बहुत, यही जीवनाधार। रंग बनावट जानिए,…

प्रकाश संश्लेषण – विधा दोहें – राम किशोर पाठक

प्रकाश संश्लेषण – दोहें जिज्ञासा बच्चे लिए, गुरुवर करें निदान। कैसे भोजन पेड़ में, बनता है श्रीमान।।०१।। कैसे पोषण पा रहा, इसका कहें विधान। प्रकाश संश्लेषण किसे, कहते हैं श्रीमान।।०२।।…

जगन्नाथपुरी रथयात्रा – राम किशोर पाठक

जगन्नाथपुरी रथ-यात्रा- दोहें उत्कल प्रदेश में चलें, जहाँ ईश का धाम। शंख- क्षेत्र, श्रीक्षेत्र है, उसी पुरी का नाम।।०१।। युगल मूर्ति प्रतीक बने, बसे यहाँ अभिराम। श्री जगन्नाथ पूर्ण हैं,…