पड़ती गर्मी प्रचंड है – लावणी छंद गीत ताल, तलैया, सरवर सूखा, भू दिखता खंड-खंड है। प्यासा पंछी खोज रहा जल, गर्मी बड़ा प्रचंड है।। झुलस गया है बाग, बगीचा,…
Category: sandeshparak
Sandeshparak poems are poems that are used to convey a message with feelings. Through poems, statements related to the country, the world, and society are transmitted to the people. Teachers of Bihar give an important message through the Sandeshparak of Padyapankaj.
भूजल का दोहन करें नहीं- लावणी छंद गीत – राम किशोर पाठक
भूजल का दोहन करें नहीं- लावणी छंद गीत भूजल का दोहन करें नहीं, संग्रह बहुत जरूरी है। बसा भूगर्भ में मधुरिम यह, बनी आज मजबूरी है।। मान लिया सच भूमंडल…
नीर भूगर्भ का जानिए- राम किशोर पाठक
नीर भूगर्भ का जानिए- उज्ज्वला छंद बातें कुछ करने आइए। अपनी सोच तो बताइए।। मीठे जल को पी पाइए। खत्म होने से बचाइए।। जीवन अपना हलकान है। सारे लोग परेशान…
महासागर – बाल कविता – राम किशोर पाठक
महासागर आओ बच्चों तुम्हें बताएँ। बात पुरानी याद दिलाएँ।। सात समंदर कहती नानी। दूर देश की कथा सुहानी।। आओ जाने हम सच्चाई। नानी कहती यह क्यों भाई।। जल का विशाल…
मैं पथ का निर्भीक राही- कंचन प्रभा
मैं पथ का निर्भीक राही पथ के राही चले बेफिक्र मंजिलें दूर हो रास्ते कठिन हो पथरीली डगर हो काँटे बिछे हो चलना है बस चलते जाना रुकना नहीं है…
नर-नारी दोनों का जग में – लावणी छंद गीत- राम किशोर पाठक
नर- नारी दोनों का जग में – लावणी छंद गीत प्रेम भाव जब रहता मन में, भरकर लगता गागर है। नर- नारी दोनों का जग में, होता मान बराबर है।।…
खाद्य सुरक्षा पर रखना ध्यान – मृत्युंजय कुमार
खाद्य सुरक्षा पर रखना ध्यान सुरक्षित और स्वस्थ भोजन हो अपना। तभी स्वास्थ्य बेहतर रहेगा अपना।। मिलावटी खाद्य सामग्री पहचानें। संतुलित आहार को अपनाना जानें।। पोषक तत्व वाला भोजन करना।…
स्वस्थ जीवन जीने की तैयारी – अमरनाथ त्रिवेदी
स्वस्थ जीवन जीने की तैयारी जब जगे तभी सवेरा , यही सोच सदा नित बनी रहे । अब तो स्वस्थ रहने की , यह अक्ल सदा ही ठनी रहे ।…
गंगा दशहरा – द्विगुणित सुंदरी छंद गीत – राम किशोर पाठक
गंगा दशहरा – द्विगुणित सुंदरी छंद गीत मास ज्येष्ठ दशमी को, गंगा भू पर आना। आज दशहरा गंगा, जन-जन में कहलाना।। वंश इक्ष्वाकु जाने, राजा सगर बखाने। अश्वमेध का घोड़ा,…
क्या मैं अबोध हूॅं – राम किशोर पाठक
क्या मैं अबोध हूॅं। माँ सुनो तो, एक बात जरा, क्या मैं अबोध हूॅं ? पाँच वर्ष की हो गयी, बहुत कुछ समझने भी लगी हूँ, तुम्हारे साथ अक्सर हाथ…