पथिक-दिलीप कुमार गुप्त

पथिक कंटक निर्जन राह से बचकर निष्कंटक मार्ग चलना होगा असत्य की भीड़ से पृथक सत्य संबल अपनाना होगा। पथिक! जीवन पथ सुगम होगा। अपेक्षाओं से दूर निकल कर वर्जनाओं…

उंगलियां अब व्हाट्सएप चला रही हैं-सैयद जाबिर हुसैन

उंगलियां अब व्हाट्सएप चला रही हैं यह सजा है कि मजा है, ये खुद को भी नही समझ पा रही हैं। उंगलियां अब व्हाट्स_एप चला रही हैं। कभी फेसबुक पर…

माता पिता-स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

माता पिता मात पिता धन मानिये, दियो शरीर बनाय। ता पर माँ ममतामयी, प्रथम गुरु बन धाय।। खेल कूद कर बढ़ रहे, अब देखो कुलराई। शिक्षा शिक्षक के बिना, खोज…

सोचो कैसे बच पाओगे-विजय सिंह नीलकण्ठ

सोचो कैसे बच पाओगे  हर ओर गंदगी फैली है  पर्यावरण हो गई मैली है  क्या करेगा पौधा बेचारा  गंदगी देख थककर हारा।  न जल की निकासी दिखे कहीं  घर के…

सरिता-मनु कुमारी

सरिता सरिता ! हां, मैं हूँ सरिता! मैं हीं हूँ तनूजा ! परोपकार की जीती जागती मूर्ति, अपने लिए कुछ नहीं सोचती, मुझे आता है सिर्फ देना, सृष्टि के समस्त…