अद्वितीय कवि दिनकर – अमरनाथ त्रिवेदी

एक अद्वितीय कवि दिनकर केवल  बातों  पर  ही  बात  नहीं, तथ्यों  पर प्रखर रूप से बात करे। कवि वैसा हो जो यथार्थ धरातल पर, प्रखरता से दिल में उतर  बरसात…

हिंदी दिवस – अमरनाथ त्रिवेदी

हिंदी दिवस मनाएँ ऐसे, जिसमें भाव प्रवणता हो। दिल ही नहीं दिमागों में भी , कार्य करने की क्षमता हो।। हिंदी हमारी मातृभाषा है, इसको सदा सशक्त करें। यही तो…

गुरु हमारे वो कहलाते – सुरेश कुमार गौरव

  ज्ञान चक्षु से जो सिखलाते सही-ग़लत को जो समझाते, विषयक ज्ञान सदा जो देते, नैतिक मूल्यों को बतलाते, व्यवहारिकता को जो समझाते, गुरु हमारे वो कहलाते। नैतिकता का सदा…

अविरल – शिल्पी

उम्र जो थी चुनने की भविष्य एक वह चुनता रहा कबाड़ बीनता रहा कचरा इतर किसी सुगंध-दुर्गंध के भेद के भांति किसी कर्मठ कर्मयोगी के। आशंका- अनुशंसा या किसी संशय…

राष्ट्र निर्माता: शिक्षक – पुष्पा प्रसाद

एक शिक्षक अपनी पूरी जिंदगी बच्चों के साथ बिताते हैं। खुद सड़क की तरह एक जगह रखते है पर विद्यार्थी को मंजिल तक पहुँचा देते हैं। कोई पेशेवर खिलाड़ी नहीं…

भारत के प्राचीन ग्रंथ- गिरीन्द्र मोहन झा

वेद-वेदान्त की है उक्ति यही, सदा बनो निर्भीक, कहो सोsहं , उपनिषद कहते हैं, ‘तत्त्वमसि’, तुम में ही है ‘ब्रह्म’, तू न अकिंचन। ऋषि व्यास जी ने है रचा, शुभकर…

प्रेम भरी वाणी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

ठोस परिणाम हेतु काम आता अनुभव, बीमारों को पथ्य वास्ते, चावल पुरानी हो। जीवन में सोच कर कदम बढ़ाएं सदा, हर शुभ कार्य हेतु जोश व जवानी हो। निराशा-आलस्य नहीं…