चतुर लोमड़ी-अशोक कुमार

चतुर लोमड़ी

कौआ मामा बहुत चतुर,
भूख से थे मजबूर।
वह निकले गाँव की ओर,
रोटी का टुकड़ा मिला जरूर।
टहनी पर बैठकर खाना चाहा,
इतने में आ गई लोमड़ी चतुर।
वह भी भूख से व्याकुल थी,
लगी सोचने वह जरूर।
लोमड़ी बोली कौआ मामा,
बहुत मधुर तुम गाते हो।
मैंने दूसरों से आपकी बराई सुनी है,
गाकर मुझे सुनाओ जरूर।
कौआ सुनी अपनी बराई,
हो गया मस्ती में चूर।
चोच खोलकर गाना चाहा,
रोटी का टुकड़ा गिरा भूमि पर,
लोमड़ी रानी लेकर हो गई दूूर।

अशोक कुमार
न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया
नुआंव कैमूर
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