चुनाव कराते हैं…

चलो एक बार फिर से
नई सरकार से मिलाते हैं,
लोकतंत्र के इस पर्व को
उत्सव की तरह मनाते हैं,
चलो… चुनाव कराते हैं!

प्रकृति के दो सुंदर चक्रों में,
जहाँ आदि है और अंत भी है,
कर उस आदि से आरंभ सफर,
अनजानों को अपना बनाते हैं,
चलो…  चुनाव कराते हैं!

अजीब सी दास्तां है ये,
हर बार नया कुछ अनुभव है,
नए साथियों से मिलकर
सफल निर्वाचन बनाते हैं,
चलो… चुनाव कराते हैं!

सब मिलकर कदम बढ़ाते हैं,
निष्पक्षता के दीप जलाते हैं,
लोकतंत्र का मान बढ़ाते हैं,
जन-जन को जगाते हैं,
चलो… चुनाव कराते हैं!

ओम प्रकाश
भागलपुर, बिहार

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply