कथा भाव ऐसी सरल, जैसे स्वर दे वेणु।
उपन्यास वैसी लिखें, फनीश्वर नाथ रेणु।
हृदय छूता रहा सदा, उपन्यास का भाव।
उनकी रचना में दिखा, गॉंव घर से लगाव।।
दर्द व्यथा दिखला दिए, देकर लेखनी धार।
है जन जीवन किस तरह, विवश और लाचार।।
मैला ऑंचल से मिला, ऊॅंचा जिन्हें मुकाम।
मुखरित रचना में रहा, जनहित का हीं काम।।
कविता लेख निबंध से, किए समाज सुधार।
लिखी कहानी पीड़ में, उपन्यास से प्यार।।
क्रांति दूत बनकर दिया, स्वतंत्रता में साथ।
तन मन धन अर्पण किया,राष्ट्र भक्ति धर माथ।।
कितने चौराहे रची, मिले दुविधा निदान।
संवदिया, ठेस नेह से, रचना रचे सुजान।।
लाल पान की बेगमें, होती बहुत विचित्र।
कसम तीसरी से हुई, निर्मित भी चलचित्र।।
राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज, पटना
