गुरु गुरु कहिए
प्रात काल उठि गुरु-गुरु कहिए!
गुरु पुरे का नाम सुमरि के,
मन को वश में करिये।
यह मन तो है बड़ा खुरफंद,
बाहर भागे, रहे स्वच्छंद।
प्रत्याहार करके पुनि-पुनि,
मन को वापस लाईये।
प्रात काल उठि गुरु-गुरु कहिए।
गुरु की मूरति मन में धरिये।
मानस जाप मनहिं मन करिये।
दृष्टि साधन के अभ्यास से,
बिन्दु को लख लीजिये।
प्रात काल उठि गुरु-गुरु कहिए।
गुरु को साक्षात परमेश्वर कहिये
प्रेम श्रद्धा से हरदम भजिये।
आठो याम नाम सुमरि के,
आपन काज संवारिये।
भक्ति की शक्ति का महिमा अनुपम,
भक्ति को गहि लीजिए।
प्रात काल उठि गुरु-गुरु कहिए।
दया चाहें तो याद कीजिये।
क्रिया को अबकी उलट दीजिये।
नश्वर देह का नहीं ठिकाना,
कब छूट जाए लेकर कोई बहाना।
क्षण-क्षण पल-पल प्रभु नाम सुमरि कर,
इहलोक-परलोक संवारिये।
थोड़ा-थोड़ा हीं अभ्यास कर,
आवागमन नासाईये।
प्रात काल उठि गुरु-गुरु कहिए।
मनु कुमारी
मध्य विद्यालय सुरीगांव
पूर्णियाँ बिहार