हिल-मिल जाइए-राम किशोर पाठक 

Ram Kishore Pathak

आज हुआ है तमस घनेरा, दीप जलाइए।

फैलाकर उजियारा जग का, मित्र कहाइए।।

स्वार्थ भावना को तजने से, खोते कुछ नहीं।

करना क्योंकर तेरा मेरा, हिल-मिल जाइए।।

दुनिया की दस्तूर यही है, सबको देख लो।

कौन यहाँ रहने आया है, हमें बताइए।।

दुर्लभ कुछ भी यहाँ नहीं है, करिए जो कर्म।

मार्ग नया नित बन जाएगा, कदम बढ़ाइए।।

जीवन मानव का हो लेकर, करते कुछ नहीं।

कर्म बिना किसने कुछ पाया, यह समझाइए।।

साफ हृदय वाले हैं कितने, यह तो सोचिए।

अपना राजदार संभलकर, यहाँ बनाइए।।

मरहम कौन लगाता है अब, इस संसार में।

जरा सोचकर ही अब अपना, जख्म दिखाइए।।

अपने तो सब कहलाते हैं, अपना कौन है।

वक्त कभी आए तो उनको, परख कराइए।।

नहीं झमेले में पड़ना है, “पाठक” को यहाँ।

राम चरण में ध्यान लगाकर, हरि गुण गाइए।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक 

प्रधान शिक्षक 

प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला

बिहटा, पटना, बिहार।

संपर्क – 9835232978

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