हिंदी भाषा की गरिमा को, उच्च शिखर पहुँचाना होगा।
हिंदी के प्रति जन-मानस में, प्रेम अटूट जगाना होगा।।
रामचरित रचकर तुलसी मान बढ़ाएँ।
हिंदी भाषा की गरिमा को अपनाएँ।।
घर-घर तक जिसको सादर थें पहुँचाएँ।
जन-जन में अद्भुत पावन प्रेम जगाएँ।।
उनके हीं पदचिन्हों पर अब, अपनी कदम बढ़ाना होगा।
हिंदी के प्रति जन-मानस में, प्रेम अटूट जगाना होगा।।०१।।
भारतेंदु दिनकर सबने जोर लगाया।
रचना करके हिंदी का मान बढ़ाया।।
गद्य पद्य की रचना से राह दिखाया।
मीरा ने जिसमें प्रेम गीत है गाया।।
आओ! मिलकर हम-सब को भी, गीत वही फिर गाना होगा।
हिंदी के प्रति जन-मानस में, प्रेम अटूट जगाना होगा।।०२।।
हृदय हमारा पुलकित करती हिंदी है।
विरह वेदना को स्वर देती हिंदी है।।
करुणा ममता भाव जगाती हिंदी है।
प्रेम सुधा रसधार बहाती हिंदी है।।
अंग्रेजी की महता को अब, मन से हमें मिटाना होगा।
हिंदी के प्रति जन-मानस में, प्रेम अटूट जगाना होगा।।०३।।
वीरों के गौरव को गाती हिंदी है।
कथा कहानी सदा सुनाती हिंदी है।।
एक सूत्र का हार बनाती हिंदी है।
भारत की पहचान दिलाती हिंदी है।।
भारत की भाषा हिन्दी हो, यह संकल्प उठाना होगा।
हिंदी के प्रति जन-मानस में, प्रेम अटूट जगाना होगा।।०४।।
विवेकानंद का संबोधन है सुंदर।
फैलाती रहती प्रकाश सबके अंदर।।
समता भाव जगाती रहती इसकी स्वर।
दुख दर्द मिटाती रहती नित हृदय उतर।।
“पाठक” की भाषा प्यारी सबसे, हिंदी में समझाना होगा।
हिंदी के प्रति जन-मानस में, प्रेम अटूट जगाना होगा।।०५।।
गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज, उत्तर टोला
बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
