जय स्कंदमाता
ममतामयी माँ
ममतामयी तू है जगदम्बा,
तू कार्तिकेय सुत जननी है।
ताड़कासुर बध संकल्प लिये,
माँ तू संतन हित करनी है।
चार भुजायें धारण कर,
पद्मासना तू महारानी है।
तू सिंहवाहिनी बलशाली,
ममता की मूर्ति निराली है।
वरमुद्रा धारण करती तू,
कार्तिकेय की तू महतारी है।
प्रणाम मेरा स्वीकार करो,
सबकी तू माँ कल्याणी है।
कमलपुष्प ले कर में तू,
शुभ मंगल करने वाली है।
प्रणाम कोटि प्रणाम तुझे,
तू सब दुख हरने वाली है।
दुर्गा का पंचम रूप लिए,
वात्सल्य प्रेम रसधारी है।
स्कंदमाता सुन विनय मेरी,
जग मातृशक्ति हितकारी है।
स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या ‘
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