माँ वर दो-राम किशोर पाठक 

Ram Kishore Pathak

शीश नवाऊँ, माता के दर, माँ वर दो।

रचना लाऊँ, नित्य नया कर, माँ वर दो।।

शरण तुम्हारी, गहने वाले, यह कहते।

वह हर्षाया, आकर दर पर, माँ वर दो।।

मैं अज्ञानी, कर नादानी, हूँ दुख में।

ज्ञान जरा भर, दोष सभी हर, माँ वर दो।।

तुम ही माता, भाग्य विधाता, हो सबकी।

करुणा करके, आ मेरे घर, माँ वर दो।।

भक्त तुम्हारा, आस लगाकर, बैठ गया।

दया दिखाओ, ज्ञान क्षुधा भर, माँ वर दो।।

मैं अनुरागी, हूँ बड़भागी, भक्ति लिए।

सरगम गाऊँ, सुंदर सा स्वर, माँ वर दो।।

शब्द सृजन का, सत्य कथन का, भार लिया।

निर्मल मति कर, मिट जाए डर, माँ वर दो।।

लाल तुम्हारा, बनकर प्यारा, इस जग में।

करता हो नित, कर्म निरंतर, माँ वर दो।।

जीवन पावन, हो मनभावन, अरज यही।

मेरे सिर पर, हाथ सदा धर, माँ वर दो।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक 

प्रधान शिक्षक 

प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।

संपर्क – 9835232978

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