मछली रानी-अशोक कुमार



मछली रानी

मछली रानी मछली रानी,
जीवन है उसका पानी।
जल में वह भाग दौड़ करती,
ऊपर नीचे तैरा करती।।

‌‌ जल ही उसका घर द्वार,
उसमें करती है बाजार।
जल ही है सारा संसाधन,
उसमें करती सारा प्रबंधन।।

जल में वह विस्तर लगाती,
अमन चैन की नींद फरमाती।
जल ही है सारा जहान,
नहीं है उसका कोई फरमान।।

जल ही है उसका जीवन,
बाहर निकालो मर जाएगी।
नदी तालाब पोखर में रहकर,
उसका जीवन संवर जाएगी।।

मछुआरे के जाल में वह,
निर्दोष प्राणी फस जाएगी।
जल से बाहर निकालते ही वह,
तड़प तड़प कर दम तोड़ जाएगी।।

अविरल धाराओं में तैरना,
दुनिया का शैर कर जाएगी।
नहीं है उनके राह में रोड़े,
जल में सरपट दौड़ जाएंगी।।

अशोक कुमार
न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया
नुआंव कैमूर (बिहार)

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