मानव धर्म-भवानंद सिंह

Bhawanand

Bhawanand

मानव धर्म

आओ मिलकर हाथ बटाएँ
न हो मानवता शर्मसार कहीं,
हमसब मिलकर इसे बचाएँ
दीन दुखियों का साथ निभाएँ।

आज आई है विपदा भारी
मानवता का लेने परीक्षा,
मानव धर्म को बचाना है
देकर अपनी हर कुर्बानी।

आओ अपना कर्त्तव्य निभाएँ
कुंठित मन में उत्साह जगाएँ,
मानवता का पाठ पढ़ाएँ
समाज को नई दिशा दिखाएँ।

समाज का ऋण बहुत है सबपर
आओ आज उऋण हो जाएँ,
फैले अनेकों कुरीतियों से
समाज को स्वच्छ बनाएँ।

अगर जरूरत पड़े किसी को
मिलकर उसका भार उठाएँ,
समाज के हर वर्ग में यहाँ
आशा का संचार जगाएँ ।

मानव धर्म से बड़ा नहीं
धर्म कोई दूजा,
आगे रहें इस कार्य में हमेशा
यही ईश्वर की सच्ची पूजा।

भवानंद सिंह
उ. मा. वि. मधुलता
रानीगंज, अररिया

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