बातों के ज़ख्म घर कर जाते हैं- मनु कुमारी

बातों के ज़ख्म घर कर जाते हैं

चोट के ज़ख्म तो भर जाते हैं,
बातों के ज़ख्म घर कर जाते हैं।
सोच समझकर बोला करो यारों
बोले हुए शब्द वापस कहां आते हैं।

यही अल्फाज़ है जो सबसे मेल कराता है,
यही अल्फाज़ है जो सबमें वैर कराता है,
कटु वचन सचमुच ना बोलना मेरे यारों,
वो हृदय की गहराइयों तक चले जाते हैं।म

ज़ख्मों की दवा तो मिल जाते हैं पर
टूटे दिल कहां फिर जुड़ पाते हैं?
बहुत कोशिश से कहीं अगर जुड़ जाए तो,
हृदय में गिरह फिर भी रह जाते हैं।

“अंधे का पुत्र अंधा “कथन सत्य था पर
अप्रिय वचन लोग कहां सह पाते हैं ।
वचन जब तौलकर नहीं बोले जाते तो,
हर घड़ महाभारत छिड़ जाते हैं।

अपने होने के बातें बहुत करते हैं पर,
चोट हृदय पर वो कर जाते हैं ।
बिखर जाता है जब परिवार सखे,
रह मौन मन हीं मन फिर पछताते हैं।

प्रेम से रहते जो इस जग में ,
सुख समृद्धि घर ले आते हैं ।
धर्म की जो करते हैं रक्षा यहां।
हर विपदा में धर्म साथी बन जाते हैं।

स्वरचित एवं मौलिक
मनु कुमारी ,
विशिष्ट शिक्षिका, प्राथमिक विद्यालय दीपनगर बिचारी, राघोपुर, सुपौल

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