सूरज महान है-एस.के.पूनम

विद्या:-मनहरण घनाक्षरी व्योम,धरा प्रभा भरी,उष्णता से शीत डरी, दूर किया थरथरी,यही पहचान है। अश्व पर बैठ चले,संसार में ज्योत जले, फल,फूल खुब फले,सूरज की शान है। गगन चमका तारा,भुला गिनती…

जीवन अनमोल-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद माता – पिता, गुरुजन, का जो ना सहारा मिले, उम्र सारी बीत जाए, जिंदगी बनाने में। मानव जीवन भाई, बड़ा अनमोल होता, वक्त न बर्बाद करें, बैठ…

आख़िर हूं मैं कहां-जयकृष्णा पासवान

उड़ता है मन, परिंदों का आसमां । खिलता हुआ फूल, भंवरों का नग़मा।। ढुंढने चल पड़ा मैं, खुशियों का जहां। आख़िर हूं मैं कहां…२.।। नदियों के किनारे में, पर्वतों के…

कर्पूर बदन-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++ सिर शोभे जटा जूट, विभाकर का मुकुट, कर्पूर बदन शिव, हाथों में त्रिशूल है। चढ़ता है बेलपत्र, गंगाजल बने इत्र, फूलों में अधिक प्यारा, धतूरा का…

आनंद का पल है -एस.के.पूनम

छंद:-मनहरण घनाक्षरी प्रातःकाल की बेला में,खड़ी यमुना किनारे, गागर भरतीं राधा,लेतीं नदी जल है। आरती माधव संग,बोल उठी अंग-अंग, केशव,मोहन मेरा,आराध्य ही बल है। वाणी मधुर-मधुर,बहती अमृत धार, कृष्ण को…