नव वर्ष में करते हैं वायदा। पढ़ेंगे पहले से भी ज्यादा।।१ नित्य नियम से स्कूल जायेंगे। जल्दी- जल्दी ज्ञान बढ़ायेगे।।२ मानेंगे माता, पिता, गुरु का कहना। हमको अनपढ़ बनकर नहीं…
मुस्कान- अश्मजा प्रियदर्शिनी
निराश ह्रदय कुंठित काया को हर्षित करे खिल जाता जीवन बगिया अनूप । मिल जाती खुशियाँ अपार न होता विषम वेदना,कष्ट,विपदा कुरुप । कभी चाँद की चाँदनी की शीतलता ,कभी…
सुबह-शाम लिख दिया- जयकृष्णा पासवान
मैं जमीं हूं तो वो, आसमां है मेरा । हर फिजाओं की रवानी पर, नाम लिख दिया।। इत्र बनके खुशबू अब, महकने लगे। कोरा कागज़ पर हमने, सुबह-शाम लिख दिया।।…
नारी व्यथा- अमरनाथ त्रिवेदी
आज के भटकते समाज मे , नारी की स्थिति क्या होती है ? दिन -रात निज कर्म में रह , अभिशप्त जीवन ही जीती है । सीता – सावित्री की…
कृष्ण को प्रणाम है-एस.के.पूनम
मनहरण घनाक्षरी पुकारीं दुलारी राधा,ढूंढ़ती फिरती कान्हा, नयन निहारी राह,पूछी कहाँ श्याम हैं। मुकुट शोभित भाल,बाँहों पर भुजबंध, कंठमाला मोतियों का,वही घनश्याम हैं। यमुना किनारे बंसी,बजाए मुरलीधर, श्रवण करती राधा,केशव…
बचपन – प्रीति कुमारी
जीवन का वह स्वर्णिम क्षण, जो था नन्हा- मुन्ना बचपन । उस बचपन की कुछ यादें हैं, कुछ प्यारे-प्यारे वादे हैं । जो की थीं हमनें पेड़ों संग, गौरैयों संग,गुब्बारों…
सड़क सुरक्षा अभियान-रणजीत कुशवाहा
ऐ भाई ,जरा देख के चलो। आगे ही नहीं ,पीछे भी दायें ही नहीं ,बायें भी ऊपर ही नहीं, नीचे भी ऐ भाई जरा देख के चलो । दुपहिया पर…
सर्दियों में -अमरनाथ त्रिवेदी
इन सर्दियों में ,गरीबों की रौनक रसहीन हो जाती है । सर्द थपेड़ों से जीना मुहाल हो जाती है । चारों ओर शाम ढलते ही सन्नाटा पसर जाता है ।…
ताज़- जयकृष्णा पासवान
सुगम फरिश्तों के , ताज़ है आप । ममताऔर करुणा, की नाज़ है आप ।। “दिल इसे पाकर भला क्यों नहीं झूमे ” । मेरी धड़कनों की, आवाज़ है आप।।…
कर्त्तव्य- अमरनाथ त्रिवेदी
देव -दृष्टि का स्वपुँज , कर में लिए क्यों फिरते हो ? संतप्त हो या अभिशप्त अभी , कुछ क्यों न धरा हेतु करते हो ? परिवर्तन करना वश में…