अलख जगाएँ-मीरा सिंह

अलख जगाएँ सोच समझकर कदम बढ़ाएँ इस दुनिया में नाम कमाएँ। जीवन धन अनमोल मिला है इस जीवन का मान बढ़ाएँ। मिल जाए गर विपदा कोई तनिक नहीं उससे घबराएँ।…

शीत-एस.के.पूनम

छंद:-मनहरण घनाक्षरी “शीत” सघन है काली रात,रौशनी है थोड़ी-थोड़ी, बंद हुआ घर-द्वार,जाड़े का आलम है। सूर्य ढ़का तुहिन से,घूप थोड़ा निकाला है, आलस्य डेरा डाला है,सर्दी का पैगाम है। चहल-पहल…

दहलीज में सिमटी जिंदगी का सबक- विकास कुमार

भीड़ भरी इस दुनिया में कूप सन्नाटा पसरा है। जब हवा ही कातिल हुई, फिर किस सांस का आसरा है।। घुटनों के बल अब सत्ता है। दंभ, ज्ञान,सामर्थ्य अब, लगता…