मैं भारत ज्ञान प्रदाता हूँ- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

मैं भारत, ज्ञान प्रदाता हूँ। प्रज्ञा की ज्योति जलाता हूँ।। अपनी संस्कृति, सबसे सुंदर, यह जन-जन को बतलाता हूँ। मैं भारत ———————। माटी का कण-कण है प्यारा। इसका वैभव अद्भुत…

नमन मंच – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी “”””””””””””””””””””’” “डूबते को तिनके का” +++++++++++++ हजारों तारों के बीच, हमेशा चमकता है, जैसे आसमान बीच- एक ध्रुवतारा है। धीर-वीर पुरुषार्थी, दुनिया में पूजे जाते, अकेला सूरज करे-…

दोहावली -देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

काया वह किस काम की, अगर न हो उपयोग। श्रम की ज्वाला में तपा, करिए तब उपभोग।। बुरा कर्म होता बुरा, रहिए इससे दूर। अपनाकर सत्कर्म को, भरें तोष भरपूर।।…

बगावत नहीं होती -डॉक्टर मनीष कुमार शशि

भगवान की अदालत में वकालत नहीं होती, किसी के चिल्लाने से कयामत नहीं होती। जहाँ रहेंगे सच्चरित्र औ पक्के ईमानवाले, किसी के भड़काने से बगावत नहीं होती। इतना सीख चुका…