आत्म-परीक्षा- रामकिशोर पाठक

हम ज्ञानदीप की ले मशाल, शिक्षा की ज्योत जलाने चलें। नव-भारत का लें संकल्प, नव राष्ट्र प्रहरी बनाने चलें।। कदम-कदम पर पड़े विभेद के पत्थर, सौहार्द से हटाने चलें। बाहुबली-सी…

यह सौभाग्य हमारा है – रत्ना प्रिया

तक्षशिला, नालंदा जैसी, अविरल ज्ञान की धारा है। जन्मभूमि यह भारत-भू है, यह सौभाग्य हमारा है।। ज्ञान, कर्म के दीप यहाँ पर, सदा उजाला करते हैं, गुरु-शिष्य की परंपरा में,…

गुरु हमारे वो कहलाते – सुरेश कुमार गौरव

  ज्ञान चक्षु से जो सिखलाते सही-ग़लत को जो समझाते, विषयक ज्ञान सदा जो देते, नैतिक मूल्यों को बतलाते, व्यवहारिकता को जो समझाते, गुरु हमारे वो कहलाते। नैतिकता का सदा…

मैं शिक्षक- प्रियंका कुमारी

मैं शिक्षक, मैं कुंभकार हूँ। देश के भविष्य को, गढ़ता हूँ, मढ़ता हूँ। मैं शिक्षक, मैं कुंभकार हूँ। बुद्धि से कौशल से, क्रीड़ा से कर्म से, ज्ञान से विज्ञान से,…

सूरज भैया – अवनीश कुमार

  सूरज भैया सूरज भैया क्यों है तुम्हारे गाल लाल क्या मम्मी ने तुम्हें डाँटा है या पापा ने मारा तमाचा है? ये गुलाबी नहीं दिखते मुझको तुम्हारे अंगारों से…

दूर तक चलते हुए -शिल्पी

घर की ओर लौटता आदमी होता नहीं कभी खाली हाथ हथेलियों की लकीरों संग लौटती हैं अक्सर उसके अभिलाषाएं, उम्मीद, सुकून और थोड़ी निराशा घर लौटते उसके लकदक कदम छोड़ते…