कृपाण घनाक्षरी – एस.के.पूनम

कवियों की गोष्ठी आज, साध कर सुर साज, खोल देते सारे राज,कवित्त करे झंकार । शब्द जोड़-तोड़ लिखा, कविता पढ़ना सीखा, जहाँ-जहाँ मुझे दिखा,कहाँ श्रम से इंकार । करके वाचन…

नारी तू नारायणी है – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

समाज की बलि नित्य बनती है औरत! क्या समाप्त हो गई इसकी जरूरत? श्रद्धा से प्रेरणा पा “मनु’ को आई जागृति, नारी समाज के दामन से जुड़ी भारत की संस्कृति।…

गीत -सुधीर

गीत – ३२ यति – १६,१६ २२२२ २२२२ धरती की चूनर हरियाई , रंग बसंती सब पर छाई । खेतों में सरसों लहराते , तन मन दोनों को महकाते ।…

मनहरण(महिलाओं को समर्पित) – एस.के.पूनम

उतरी है नन्ही परी, हाथ-पाँव मार रही, आँगन तो किलकारी से गुंजायमान है। कद़म-कद़म पर, बजता है रणभेरी, हटी नहीं कभी पीछे,छेड़ी अभियान है। वाणी सुन दौड़ जाती, आती है…

हे महादेव – अंजली कुमारी

हे महादेव, त्रिकालदर्शी, शंभूनाथ महेश्वर । सुमिरन करे, करें ध्यान तेरा दिन रात और चारों पहर । हे अर्धचंद्र के मुकुटधारी , नाग का कंठहार धारण किया। डमरू त्रिशूल हाथों…

अब ये कदम ना पीछे हटेंगे – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

ऐ सुन मेरे भाई मत बोल तीखा, अभी तो मैंने बस चलना है सीखा। पूरा है भरोसा स्वयं पर मुझको, मुकद्दर से मैंने लड़ना है सीखा। लगा ले चाहे कोई…