आर्तवाणी से पुकारा मेरे मोहन इन चरणों की अब तो दे दो सहारा। बिना मांझी यह जीवन नैया कैसे लगे किनारा।। जड़ चेतन सब तेरी माया, कण-कण में तू है…
सपने सच होंगें-लवली वर्मा
सपने सच होंगें सपने भी सच होंगे बस हिम्मत करनी होगी मंजिल भी मिलेगी कोशिशें तो करनी होंगी। न हार मानना तुम देख कर इन कठिनाईयों को जीवन एक जंग…
पैबन्द लगी कविता-गिरिधर कुमार
हजार पैबन्द लगी चिथड़े चिथड़े से बुनी बनी टुकड़ों में बुदबुदाती कविता… रास्ते के उदास मील के पत्थर की तरह अगले शहर की दूरी भर बतलाती भावशून्य हो गयी…
सद्गुरु शत शत तुम्हे प्रणाम-दिलीप कुमार गुप्त
सद्गुरु शत शत तुम्हे प्रणाम हे गुरुवर, हे दयानिधे! आपके हैं अनंत उपकार आत्मज्ञान की ज्योति जलाकर सदज्ञान का पियूष पिलाकर मानवता का किया उद्धार सद्गुरु शत शत तुम्हे प्रणाम।…
मैं भारत हूँ-देव कांत मिश्र
मैं भारत हूँ मैं भारत हूँ, सदा रहूँगा, ऐसा ही बतलाऊँगा। माटी के कण-कण से सबको, अभिनव गुण सिखलाऊँगा।। पत्ते कहते मैं भारत हूँ, हरा रंग दिखलाऊँगा। हरित भाव को…
जड़ के कार्य-बीनू मिश्रा
जड़ के कार्य भूमि के नीचे जड़ें है होती, जड़ ही मिट्टी को जकड़े रहती, जड़ की सतह पर छोटे रोएं होते, हम जिसे मूल रोम हैं कहते, नींव…
बालमन फिर झूले-भोला प्रसाद शर्मा
बालमन फिर झूले बालमन झूले विद्यालय में बालमन फिर झूले—–2 बच्चे भी आए गुरुवर भी आए, देख दूसरों को फूले न समाये। नन्हें भी आकर मन को हर्षाये, टप्पू टुनटुनियाँ…
आओ करें आत्म अवलोकन-भवानंद सिंह
आओ करें आत्म अवलोकन हिय से निकली एक आवाज आओ करें आत्म विश्लेषण, क्या खोया क्या पाया हमने इस नश्वर संसार में आके। कुछ पाने की होड़ में आगे बढ़ने…
पृथ्वी-अनुज कुमार वर्मा
पृथ्वी सौरमंडल का एक ग्रह पृथ्वी जिसका नाम है। दुनिया कहते हम इसको, जीवन करती प्रदान है। पेड़ पौधों से घिरा यह, नदियाँ बहती निर्मल। जीव जन्तु रहते जीवित, पीकर…
आजादी-अशोक कुमार
आजादी तीन रंगों का तिरंगा प्यारा, नभ में लहराता। यह हमारी शान शौकत, आजादी की कीमत बताता।। हरा रंग है हरी हमारी, धरती की अंगड़ाई। केशरीया बल पौरुष भरने वाला,…