तू मानव है जब-जब मानव को अभिमान हुआ सर्व-श्रेष्ठ होने का भान हुआ, कुदरत ने तोड़ा दंभ तेरा तुझे तुच्छ अहं का ज्ञान हुआ। तूने “वसुधा” की हरियाली को बनकर…
ईद-मेराज रज़ा
ईद ईद आई है, ईद आई है, कपड़े नए पहनकर निकले, बच्चे-बूढ़े सारे! उतरे हों आसमान से ज्यों, झिलमिल-झिलमिल तारे। प्यारे से होंठों पर सबके खुशियां छाई है। ईद आई…
वक़्त हीं तो है गुजर जाएगा-मधु कुमारी
वक़्त हीं तो है गुजर जाएगा वक़्त हीं तो है, गुज़र जाएगा जो आज है भयावह मंजर यकीन…
कर्मवीर-डॉ स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
कर्मवीर जीवन कब शोक मनाता है, कर्मवीर भी मारा जाता है। उठकर प्यारे अब धीर धरो, संघर्ष से क्यों घबराता है। जीता है और हम जीतेंगे, कहो कौन हमें डराता…
स्वच्छता-शुकदेव पाठक
स्वच्छता आदर्श जीवन वह होता मानव जिसमें व्यवस्थित रहता। जीवन सही आदतों का मेल वरना, हम जीवन में फेल। बच्चों, सफाई की आदत डालो इसमें अपने आप को तुम ढालो।…
विपरीतार्थक शब्द-सुधीर कुमार
विपरीतार्थक शब्द आओ बच्चों तुम्हें सिखाता, हूं मैं आज कुछ उल्टा शब्द। विपरीतार्थक को विलोम भी कहते उल्टे अर्थ देते ये शब्द। शहर का उल्टा गांव है, धूप का उल्टा…
मैं-धीरज कुमार
मैं कभी सोच कर समझा कभी कि कौन हूं मैं ? इस धरती पर जन्मा कहां से आया हूं मैं ? कई रिश्ते नाते बने मुझसे कितने निभा रहा हूं…
किताब-रीना कुमारी
किताब बच्चों! मैं हूँ किताब जो सभी के जीवन को बदल दूँ, सबके जीवन को रंगीन सपनों से भर दूँ। केवल सबको मुझे पढ़ना है और गढ़ना है, तब मुझको…
माँ का ममत्व-संयुक्ता कुमारी
माँ का ममत्व माँ के ममत्व को त्याग और विश्वास को गोदी वाले गागर को अनंत नेह के सागर को क्या कोई समझ पाएगा? माँ को कोई बच्चा क्या लिख…
कोरोना-प्रियंका कुमारी
कोरोना करो न करो कोई ऐसा काम, जिससे बाद में होना पड़े परेशान, यह सिर्फ बात खुद की नहीं, चंद लापरवाही के ही कारण, खतरे में पड़ सकती है जान।…