मौसम का असर- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद दही-चूड़ा,तिल खा के, सूरज है अलशाया, कुहासे में दिखता है, धुंधला गगन है। पेड़ों की डालियों से शबनम टपक रही, बह रही मंद-मंद, शीतल पवन है। झरोखे…

मकर संक्रांति- संजीव प्रियदर्शी

स्वागत करें उत्तरायण रवि का हम सब मिलकर आज। और उड़ाएं नील गगन बीच पतंगों की परवाज। कहीं तिल की सौंधी सुगंध है, कहीं गुड़ की लाई। कहीं खिचड़ी, कहीं…

नमन युवा शक्ति विवेकानंद- एस.के.पूनम

मनहरण घनाक्षरी(पहचान है) राष्ट्र धरोहर कहूँ, कहूँ चिन्तक साधक, युवा किया अभिमान,दिलाया सम्मान है। नरेंद्र झुकाए शीश, मिला गुरु का आशीष, वतन करता प्यार,भारत का मान हैं। भक्ति है शक्ति…

युवापराक्रम- संजय कुमार

उठो,जागो और आगे बढ़ो विवेकानंद जी का ये नारा, शून्य की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या कर बनें विश्व की आँखों का तारा। तर्क अनेकों दिए उन्होंने करता हूँ मैं उनको नमन, जीत…

मनहरण घनाक्षरी- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

विधा: मनहरण घनाक्षरी राष्ट्र के हैं दिव्य लाल, सौम्य तन उच्च भाल, ज्ञान बुद्धि प्रेम के वे, निर्मल स्वरूप हैं। बाल्य नाम नरेन्द्र है, कर्मयोगी नृपेन्द्र है, देशभक्ति धर्म हेतु,…