खेलोगे कूदोगे होगे खराब। पढ़ोगे लिखोगे होगे नबाब। अब यह बात पुरानी है। लिखनी नयी कहानी है। अब खेलों की बारी है। रूकना मत कोशिश जारी है। खेल खेल में…
बेज़ुबाँ-अदिति भूषण
आज दर्द की महफ़िल में, अश्क़ों ने कुछ ऐसा समाँ बाँधा, डूबा डाला सबको अपने ही रंग में, सपनों के घूँघरु टूटे, शिशे दिल के टुकड़े सरे आम हुए। बेबसी…
हालात से मजबूर- जैनेन्द्र प्रसाद रवि
जीवन के कई रंग, लोग यहां लड़ें जंग, ठंड से ठिठुरे, नहीं चादर है पास में। कोई नहीं देखे अभी, दरवाजे बंद सभी, गली में भिखारी खड़ा- भोजन की आस…
अतुल्य टीका- सुरेश कुमार गौरव
सदियों पूर्व की गई अपने यहां “टीकाओं” की अनूठी शुरुआत एक से बढ़कर एक हुए विद्वजन किए अद्भुत संस्कृति की शुरुआत। अपने देश की कई परंपराएं भी हैं बेहद अर्थपूर्ण…
ठुठरती ठंड- जयकृष्णा पासवान
गगन में कोहरे छाऐ हुए, बादल की छलकती है शमा। जग-सारा विरान हो गए, ठुठरती ठंड की है पनाह ।। कोई चिराग की आशंका नहीं, दिवाकर भी ख़ामोश पड़े। नित-रोज़…
बाल मन- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
बिस्किट मिठाई केक, नौनिहालों को भाते हैं, जहाँ हों खिलौने-टॉफी, आंखें उसी ओर हैं। कोई भी मौसम रहे, खुशियों की बाँह गहें, गली से चौबारे गूंजे, बच्चों की ही शोर…
जंगल में विद्यालय- रणजीत कुशवाहा
शिक्षा बना बाजारवाद का आलय। जंगल में खुला ग्लोबल विद्यालय।। जब जंगल में विद्यालय खुला। प्रचार प्रसार खुब जमके हुआ।। उत्साहित थे सभी जानवर। नाम लिखाये सब जमकर।। महंगी फीस…
वर्षा रानी- रणजीत कुशवाहा
खुब बरसों प्यारी वर्षा रानी। पग-पग कर दो पानी-पानी।। बादलों से मोरों को नचा ओ। मेंढक की टर्र – टर्र सुनाओ।। पेड़-पौधों में हरियाली दो। जीव-जंतु में खुशहाली दो।। जब…
पुस्तक- सुरेश कुमार गौरव
जीवन मित्र है हर अच्छी पुस्तक जीवन मार्ग में देती है ये दस्तक. भाषा का मर्म भी छिपा है इसमें, दिन दुनिया की हर खोज खबर, भाषा और लिपी की…
शीत का भरण है- एस.के.पूनम
विद्या:-मनहरण घनाक्षरी ठंडी-ठंडी हवा चली, शीत यहाँ खूब पली, आलाव है जल पड़ी,ठंड में शरण है। अंशु-अंशु कह पड़ा, करबद्ध रहा खड़ा, न जग से छीने ताप,शीत में मरण है।…