पक्षियों की भाषा भी बड़ी सुरमयी सी होती हैं! इनके कलरव बोल से मन गीतमयी सी होती हैं!! कभी इस डाल तो कभी उस डाल ये डोलती हैंं! स्वच्छंद विचरण…
प्रकृति और मनुष्य- रणजीत कुशवाहा
प्रकृति है जीवन का आधार। मनुष्य ने किया इससे खिलवाड़।। गगनचुंबी इमारत की जाल बिछाई। धरा पर कंक्रीट रुपी जंगल फैलाई।। पेड़-पौधे की अंधाधुंध कर कटाई। कृषि योग्य उपजाऊ भूमि…
मैं खुश हूं कि- रणजीत कुशवाहा
मैं खुश हूं कि क्योंकि मैं थोड़ा बहुत कमा लेता हूं, यानि बेरोजगार तो नहीं हूं , जो बेरोजगार लोग होंगे उनका जीवन यापन कितनी कठिनाई से गुजरती होगी। मैं…
रुप अनेक पर मैं इक नारी हूं-रणजीत कुशवाहा
अपने पापा की प्यारी परी हूं। जननी मां की राज दुलारी हूं।। बड़े भैया की बहना न्यारी हूं। बाबुल के अंगना की फूलवारी हूं ।। मैं तो दो जहां की…
कड़ाके की ठंड- दीपा वर्मा
कड़ाके की ठंड है , ठंड बड़ी प्रचंड है । शीतलहर जारी है , हर पल सब पर भारी है। यह ठंड सबको सहना है, रजाई में ही रहना है।…
हम लड़की है- रणजीत कुशवाहा
हमें किसी से भावानात्मक लगाव होता है, लेकिन आप लोग जिस्मानी समझ लेते हो। हम सोशल मीडिया पे आपके विचारों को पसंद करतें हैं । आप ये समझने लगते है…
माता वीणापाणि- कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
छोड़कर घर-द्वार,कर सबसे किनार, पढ़ने आए हम माँ,तप पूर्ण कीजिए। देकर ज्ञान का दान,माँ करो मेरा कल्याण, बन जाऊँ विद्यावान, शरण में लीजिए। जय माँ वरदायिनी, जय ज्ञान प्रकाशिनी, सफल…
लालची बाप- नीतू रानी
जिस माँ बाप को खाने का नहीं है औकात, उसे बच्चा पैदा करने का नहीं है अधिकार। जिस घर में पिता हो नशेवाज उस खानदान का सभी लोग भी होंगे…
नया साल- दीपा वर्मा
नया साल है, नई उमंगे, नई दिशाएँ। नई आशाएँ, मन में हिलोरें, मार रही है। ख्वाब जो अधूरी रह गई, मन की बात जो पूरी नहीं हुई है, आगे पलको…
लगाय छी माथो घुसो म – जय कृष्णा पासवान
ठंडा पड़ल छै पुसो म, लगाय छी माथो घुसो म। नौकरी में मंदा मत पूछो, पढ़ाई में धंधा मत पूछो।। आॅफिसो म चंदा मत पूछो, आरु नज़रों म अंडा मत…