सर्दी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि

सर्दी चुपके-चुपके आती सर्दी, सबको बहुत सताती सर्दी। अमीरों को यह ख़ूब है भाती, गरीबों को यह बहुत सताती। आग की थोड़ी गर्मी पाकर, छिपकर दुम दबाती सर्दी। अमीरों को…

याचना-दिलीप कुमार गुप्ता

याचना प्रवृत्ति आरोह सदज्ञान की निवृत्ति दुःख द्वन्द्व दुर्भाव की अन्तस तिमिर का हो उन्मूलन संस्कृति सुवासित सद्भाव की। कामना यही तुमसे सद्गुरु भाव कृतज्ञता का हो ज्ञापन अपकार कभी…

प्यारा देश हमारा है-देव कांत मिश्र दिव्य

प्यारा देश हमारा है वसुधा से जो लगन लगाये, वही देश का प्यारा है। पावन भावन सरिता की नित, चमक रही जलधारा है।। राम, कृष्ण का जन्मस्थल यह, भारत देश…

नश्वर दुनियाँ-अर्चना गुप्ता

नश्वर दुनियाँ  कितनी नश्वर है प्रभु तेरी दुनियाँ फिर भी पल-पल द्वेष बढ़ आए स्वार्थपाश में बँधे हुए सब ही तो रह एक-दूजे संग सदा दंभ दिखाए कालचक्र की गति…

माँ मुझको अब पढ़ना है-डाॅ. अनुपमा श्रीवास्तव

माँ मुझको अब पढ़ना है माँ मुझको अब पढ़ना है सबसे आगे बढ़ना है, देखा था जो तुमने सपना उसको पूरा करना है। अंतर करेगी दुनियाँ कैसे जैसा “बेटा” “बेटी”…