स्वयं की पहचान क्या कभी पहचाना स्वयं को? कौन हैं हम? भूलकर स्वयं को आत्मा देहाभिमान में ढूंढे, कौन है परमात्मा? देह नही तू देही है, मिलेंगे कैसे वो? परमात्मा…
क्यों भूल गया-कुमकुम कुमारी
क्यों भूल गया क्यों भूल गया ऐ इंसान ये किराए का है मकान साँसे बेच-बेच कर किराया चुकाना है फिर वापस घर चले जाना है तो क्यों इस नश्वर जगत…
बची रहे मानवता-रानी कुमारी
बची रहे मानवता कोरोना के कहर से हमने अनुभव यह पाया है धन-दौलत, पद, सत्ता का मोह बस भूल-भूलैया है। हो सत्ता के सिरमौर या सुंदर स्वस्थ बदन गठीला उसके…
मोक्ष की प्रतिक्षा-अवनीश कुमार
मोक्ष की प्रतीक्षा थक जाता जब मानव का तन मन ईश्वर से मोक्ष दिलाने को करता नमन लेकिन आत्मा है उसे पुकारती, उसे धिक्कारती क्या चलने के पहले कुछ…
प्रकृति-प्रियंका प्रिया
प्रकृति हो व्याकुल मन की; व्यथित क्षुधा तुम, अमृत तुल्य; नीर सुधा तुम।। हे प्रकृति रुपी; ममता मयी, तू सदा रहे कालजयी, तू गोद में लिए अपने खड़ी, हे प्रकृति…
जल की बूंदें-स्वाति सौरभ
जल की बूंदे मचल रही थी जमीं से ही, उठने को ऊपर की ओर राह देख रही थी सूरज का, संग ले जाएगा आसमां की ओर सैर करूँगी आसमान में,…
डरो मत तुम कोरोना भगाओ-मनु कुमारी
डरो मत तुम कोरोना भगाओ सखी सहेली भाई बहना, कोरोना से तुम यूँ डरो ना , भले ना बनी कोई सटीक दवा, सावधानी बरत स्वच्छता अपनाओ, हाथ धोने के पाँच…
गाँधी को गढ़ना होगा-स्नेहलता द्विवेदी आर्या
गाँधी को गढ़ना होगा मानवता के मनोभाव को निर्मल से करने के लिए, मधुर जीवन के सरस भाव को अमृतमय करने के लिए, समभाव और सहजयोग में मानव को रचने…
श्री गुरु महिमा-शुकदेव पाठक
श्री गुरु महिमा गुरु आत्मा, गुरु परमात्मा गुरु है ओम्, गुरु ही व्योम गुरु निवारण, गुरु जगतारण गुरु का सम्मान करो, अपना तुम उद्धार करो। गुरु हर्षावत, गुरु दर्शावत गुरु…
विवसता-रुचि सिन्हा
विवशता प्रकृति ने गजब रौद्र रूप अपनाई है , एक तरफ है कुंआ तो दूसरी तरफ खाई है । हे ईश्वर ये तूने कैसी घड़ी लाई है । चहुँ ओर…