आज की कविता संकोच कुछ नहीं है अब कहने में की हारने लगी है कविता कि मेरी कविता अब म्लान रूग्ण और बेजान हो गयी है। झूठ के उत्साह से…
बचपन-ब्रह्माकुमारी मधुमिता ‘सृष्टि’
बचपन अल्हड़ है, मदमस्त है आसमा, छूने की चाहत है। नदियों सी चंचल है पवन सी पागल है जानने को सबकुछ उत्कल है। आंखों में खुशी, होठों पे हंसी पल…
गुलाब-मधु कुमारी
गुलाब फूलों का राजा है गुलाब काँटो के बीच रहकर भी सदा मुस्कुराता है गुलाब। सुंदरता इसकी है निराली खुशबू इसकी प्यारी मतवाली सीख हमें ये देती नित पलपल मुश्किलों…
नजर आए-सुधीर कुमार
नजर आए माता पिता के रूप में मुझको चारो धाम नजर आए। जब मैं देखूं इन्हें सदा मुझको भगवान नजर आए। आते हैं जब भी ये सामने और न कुछ…
बेजुबान-कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
बेजुबान जरा देखकर गाड़ी, चलाओ गाड़ीवान। तेरी लापरवाही से निकल जाता कितने बेजुबानों का प्राण। मारकर ठोकर उनको, तुम कर देते हो लहुलुहान। राह पर तड़पता छोड़, क्यों निकल जाते…
नशा मुक्ति अभियान-जैनेन्द्र प्रसाद रवि
नशा मुक्ति अभियान अब तो नशा छोड़ो भाई, क्यों जीवन बिताए बेकार में? समाज भी तिरस्कार करेगा, नहीं होगी शांति परिवार में।। बीड़ी, सिगरेट और तंबाकू, डाले डाका बनकर डाकू।…
ऑनलाइन क्लास-धीरज कुमार
ऑनलाइन क्लास सोचा किसने था की बच्चे और शिक्षक पास रह कर भी दूर हो जाएंगे? किसको पता था की आएगी महामारी और स्कूल बंद हो जाएंगे? एक दूसरे से…
महारथी कर्ण का वध-दिलीप कुमार चौधरी
महारथी कर्ण का वध कहते थे लोग जिसे सूत-पुत्र था वह कुन्ती का प्रथम सुपुत्र। पाण्डवों का था भ्राता ज्येष्ठ दानवीर और धनुर्धर श्रेष्ठ। अपने होठों में दबाकर यह राज़…
विनय-दिलीप कुमार गुप्त
विनय तुमसे भक्ति विकसित होती संस्कृति पल्लवित पुष्पित होती मानवीय गरिमा का हो सार शांति सद्भावों के स्वर्णिम द्वार। विनय! तुम हो प्रभु का उपहार। सम्मानित जीवन देते हो हर…
चौपाई-देव कांत मिश्र दिव्य
केवट कथा आएँ निर्मल कथा सुनाएँ। भक्तों का हम मान बढ़ाएँ।। राम कथा में ध्यान लगाएँ। मनहर सुखद शांति नित पाएँ।। नाविक था गरीब वह केवट। नौका गंगा करता खेवट।।…